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Reading: जानिए 15 अगस्त को जन्में इस महर्षि ने भारत को दिया था क्या संदेश!
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KB News > विचार > अध्यात्म > जानिए 15 अगस्त को जन्में इस महर्षि ने भारत को दिया था क्या संदेश!
अध्यात्मविचार

जानिए 15 अगस्त को जन्में इस महर्षि ने भारत को दिया था क्या संदेश!

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2020/11/18 at 5:19 PM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published November 18, 2020
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महर्षि अरविंद. (फोटो साभार: SriAurobindoAshram.org)
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डॉ.अपर्णा रॉय

आज हम भारत के महायोगी श्री अरविंद पर बात कर लेते हैं. महर्षि ऐसे नाम रहे जिसने ना केवल भौतिक और मानसिक बल्कि आन्तरिक स्तर में प्रवृष्ट होकर सूक्ष्म रूप में भारतीय स्वतंत्रता के कार्य को मानों ईश्वरी शक्ति के हाथों सौंप दिया था। उन्होंने भारत की अन्तरात्मा के मातृरूप का साक्षात्कार किया और उसके उस स्वरूप की घोषणा की जो एक दिन विश्व गुरू बनेगा। लोगों के विशेष अनुरोध पर श्रीअरविन्द ने 15 अगस्त 1947को देश के नाम एक संदेश दिया था, जिसका कुछ अंश निम्नवत् है-

Contents
डॉ.अपर्णा रॉय‘भारत कोई जमीन का टुकड़ा नहीं’

“15 अगस्त स्वाधीन भारत का जन्मदिन है। यह दिन भारतवर्ष के लिए एक प्राचीन युग का अन्त और एक नवीन युग का प्रारम्भ सूचित करता है। यह दिन केवल हमारे लिए ही नहीं वरन एशिया के लिए और समस्त संसार के लिए भी एक अर्थ रखता है; और वह अर्थ यह है कि इस दिन संसार के राष्ट्र-समाज के अन्दर एक नई राष्ट्र-शक्ति प्रवेश कर रही है जिसमें अगणित संभावनाएँ निहित हैं और जिसे मनुष्य-जाति के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भविष्य की रचना करने में एक महान कार्य करना है। व्यक्तिगत रूप से तो मुझे इस बात से स्वभावतः ही प्रसन्नता होगी कि जो दिन, मेरा अपना जन्मदिन होने के कारण, केवल मेरे लिए ही स्मरणीय था और जिसे वे ही लोग प्रतिवर्ष मनाया करते थे जिन्होंने जीवन-सम्बन्धी मेरी शिक्षा को स्वीकार किया है, उसी दिन को आज इतना विशाल अर्थ प्राप्त हुआ है। एक अध्यात्मवादी के नाते मैं इन दोनों दिनों के एक हो जाने को केवल एक संयोग या आकस्मिक घटना नहीं मानता, बल्कि मैं यह मानता हूँ कि इसके द्वारा भागवत शक्ति ने –जो मेरा पथ-प्रदर्शन करती है, उस कार्य के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है तथा उस पर अपने आशीर्वाद की मुहर लगा दी है जिसको लेकर मैंने अपना जीवन आरम्भ किया था।”

उन्होंने कहा, ”आज के इस महान अवसर पर मुझसे एक सन्देश माँगा गया है। परन्तु अभी सम्भवतः मैं कोई सन्देश देने की स्थिति में नहीं हूँ। अधिक से अधिक आज मैं उन उद्देश्यों और आदर्शों की व्यक्तिगत रूप से घोषणा भर कर सकता हूँ जिन्हें मैंने अपने बाल्य और युवाकाल में अपनाया था और जिन्हें अब मैं सफलता की ओर जाते हुए देख रहा हूँ; क्योंकि भारत की स्वाधीनता के साथ उनका घनिष्ठ सम्बन्ध है-वे उस कार्य का ही एक अंग हैं जिसे मैं भारत का भावी कार्य मानता हूँ और जिसमें भारत नेता का स्थान ग्रहण किये बिना नहीं रह सकता। मैं निरन्तर यह मानता और कहता आ रहा हूँ कि भारत उठ रहा है और वह केवल अपने ही भौतिक स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए नहीं, अपनी ही प्रसारता, महत्ता, सामर्थ्य और सम्पदा-अर्जन करने के लिए नहीं… बल्कि वह भगवान के लिए, जगत के लिए समस्त मानव-जाति के सहायक और नेता के रूप में जीवन-यापन करने के लिए उठ रहा है।….. भारत स्वतन्त्र हो गया है पर उसने एकता नहीं प्राप्त की है, केवल टूटी-फूटी, छिन्न-भिन्न स्वतन्त्रता ही उसने प्राप्त की है। एक समय तो प्रायः ऐसा ही मालूम होता था कि वह फिर से अलग-अलग राज्यों की उस अस्तव्यस्त अवस्था में ही जा गिरेगा जो अवस्था अंग्रेजों की विजय के समय थी। परन्तु सौभाग्यवश अब एक ऐसी प्रबल सम्भावना उत्पन्न हो गयी है जो उसे उस विपज्जनक अवस्था में गिर जाने से बचा लेगी। संविधान-परिषद की कौशलपूर्ण प्रबल नीति ने यह सम्भव बना दिया है कि पददलित जातियों का प्रश्न बिना किसी विरोध या मतभेद के हल हो जाएगा।”

 

‘भारत कोई जमीन का टुकड़ा नहीं’

श्रीअरविन्द ने भारत को एक भूमि का टुकड़ा नहीं बल्कि अपनी माँ कहा था। उन्होंने अपने तप बल से मानव जाति को सर्वांगीण विकास और जगत के रूपांतर का मार्ग दिखाया था। सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था- “श्रीअरविन्द मेरे आध्यात्मिक गुरू हैं।” पं.जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें ‘भारत के राजनीतिक आकाश में दैदीप्यमान प्रचण्ड सूर्य’ कहा। डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा-“श्रीअरविन्द हमारे युग के सबसे महान, बुद्धिशाली व्यक्ति और आध्यात्मिक जीवन की एक प्रधान शक्ति थे।”

देश बन्धु चित्तरंजन दास की घोषणा की सत्यता सहज प्रमाणित हैं, “उनके देहावसान के बाद, उन्हें संसार देश भक्त कवि,राष्ट्र प्रेम का मसीहा और समस्त मानवता का प्रेमी मानेगा। बहुत समय तक उनके शब्द ध्वनित और प्रतिध्वनित होते रहेंगे, केवल इस देश में ही नहीं अपितु समुद्र पार के देश -देशान्तरों में भी। भारतीय आध्तात्मिक जगत के मनीषी को शत शत नमन!

(लेखिका श्री अरविंद आश्रम दिल्ली से जुड़ी हुई हैं।)

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: Indian Freedom Struggle, Puducherry, Sprituaity, Sri Aurobindo, sri aurobindo ashram
GOVINDA MISHRA November 18, 2020 November 18, 2020
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