अवनीश मेहरा, डेहरी-ऑन-सोन। कोरोना संकट के कारण हर सेक्टर को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे अनुमंडल क्षेत्र में काम करने वाले प्राइवेट स्कूल भी अछूते नहीं हैं। छोटे स्तर पर चलने वाले प्राइवेट स्कूल में काम करने वाले कई शिक्षक अपने गांव वापस लौट गए हैं या फिर राशन की दुकान पर हर महीने अपने पारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। हालत ऐसी हो गई है कि इन स्कूलों में काम करने वाले कई कर्मचारियों को जीविका चलाने के लिए सब्जी भी बेचने को मजबूर होना पड़ा है। इसी तरह की परिस्थिति का सामना डेहरी के एक निजी स्कूल में बतौर ड्राइवर काम करने वाले पिंटू को करना पड़ रहा है। कोरोना काल में नौकरी छुटने के बाद पिंटू मोहल्ले में ठेले पर सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आजीविका के लिए कुछ तो करना ही था। इसलिए ये काम शुरू किया है ताकि परिवार के लोग भूखे न रहना पड़े।
प्रदेश सरकार ने दिया कोई ध्यान
प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के डिहरी प्रखंड अध्यक्ष अरविंद भारती ने बताया कि विगत 10 माह से बंद पड़े स्कूलों के ऊपर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। इसके अलावा मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अंतर्गत आरटीई के 25% की बकाया राशि विगत 5 वर्षों से विद्यालय संचालकों को नहीं मिली है। भारती के अनुसार, विद्यालय संचालकों की स्थिति खराब होने के कारण बहुत से स्कूल संचालक अपने गांव पर खेती करने पर मजबूर हो गए और अपने गांव की ओर पलायन कर गए। उन्होंने बताया कि निजी विद्यालय के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की स्थिति इतनी दयनीय हो गयी कि उन्हें सब्जी और पकौड़ी बेचने पर मजबूर होना पड़ा।