
थाप, मंदार की रोहतासगढ़ किले में होगी गुंज, 15 साल से हो रहा कार्यक्रम का आयोजन
बिहार के रोहतास जिले के रोहतासगढ़ किले पर आरएसएस के संगठन वनवासी कल्याण आश्रम आज यानी शनिवार को आदिवासियों का जुटान करने जा रहा है। अति प्राचीन माने जाने वाले इस किले पर पिछले 15 साल से इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और कई अन्य राज्यों के आदिवासी समाज के लोग यहां पहुंचते हैं। माना जाता है कि इस किले से ही उरांव और खरवार राजाओं ने शासन भी किया था। दावा यह भी किया जाता है कि आदिवासियों का मूल स्थान यही किला है। रोहतास जिले के अलावा आस पास के इलाकों में आम लोगों को निमंत्रण देते हुए इस संबंध में एक पोस्टर जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी, छत्तीसगढ़ सरकार के पूर्व मंत्री गणेश राम भगत, संगठन मंत्री अतुल जोग और राज्यसभा सांसद समीर उरांव भी पहुंचेंगे। 27 फरवरी को करम कथा समारोह की शुरुआत होगी। उसी दिन वैगा पाहन महतो गंवहा द्वारा देव पूजन किया जाएगा। इसके बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।


वृहद कार्यक्रम का है हिस्सा
हर साल आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी या वनवासी समाज को सनातन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास माना जाता है। बड़ी संख्या में विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग इस कार्यक्रम में आते हैं। वनवासी कल्याण आश्रम कार्यक्रम के माध्यम से आदिवासी लोगों को मूल संस्कृति से जोड़ने का प्रयास बताता है। इस आयोजन में पूर्व में उड़ीसा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव भी पहुंचे थे। इनके अलावा देश के वर्तमान राष्ट्रपति और बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविद भी इस कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके हैं। कभी नक्सलवादियों की गिरफ्त में पूरी तरह रहने वाले इस किले और आस पास के इलाके से फिलहाल लाल का झंडा पूरी तरह गायब है। तत्कालीन एसपी विकास वैभव और मनु महाराज की आम लोगों को पुलिस से जोड़ने की मुहिम यहां पूरी तरह सफल रही। जिसका नतीजा साफ देखने को मिल रहा है।


सरना कोड विवाद के बीच आयोजित हो रहा कार्यक्रम
आदिवासी हिन्दू है या नहीं। इस मामले पर लगातार विमर्श और राजनीति चलती रहती है। बिहार में आदिवासियों की संख्या काफी कम है। लेकिन पास के राज्य झारखंड में यह मुद्दा कई बार गर्म हो जाता है। झारखंड चुनाव के बाद सरना धर्म कोड से संबंधित बिल विधानसभा से पास हो गया। लेकिन बीजेपी इसका पुरजोर विरोध नहीं कर सकी। दरअसल, आदिवासी समाज के मुद्दों पर राजनीति करने वाले जेएमएम और कई अन्य दलों का मानना है कि आदिवासी एक अलग धर्म हैं और हिन्दू धर्म से उनका किसी भी तरह का सरोकार नहीं है। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के नेता बीजेपी और संघ को लगातार घेरने का प्रयास करते हैं।
जेएमएम सऱीखे दल चाहते हैं कि जनगणना के दौरान सरकार इस तरह का प्रावधान करे जिसमें धर्म के कॉलम में आदिवासी लिखने का विकल्प मौजूद रहे। आरएसएस लगातार दावा करती है कि आदिवासी समाज हिन्दू धर्म का अभिन्न हिस्सा है और इसाइ मिशनरी लगातार धर्मांतरण कर उसे मूल संस्कृति से दूर करने का प्रयास करते हैं। राम जन्मभूमि पुजन के दौरान झारखंड के सरना धर्म स्थल से मिट्टी लाने के प्रयास के दौरान कई बार आरएसएस और बीजेपी से जुड़े लोगों को स्थानीय आदिवासी नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा।
गोविंदा मिश्रा