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जाति प्रमाण पत्र पर विधायक फते बहादूर सिंह ने उठाए थे सवाल
डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। डेहरी शहर का राजनीतिक मिजाज अभी पूरी तरह बदला बदला दिखाई दे रहा है। आरजेडी विधायक फते बहादूर सिंह के मुख्य पार्षद विशाखा सिंह के जाति प्रमाण पत्र पर सवाल खड़ा किया गया था। इस मामले में मुख्य पार्षद ने अपना पक्ष मीडियाकर्मियों के समक्ष रखा है। मुख्य पार्षद का कहना है कि वो अपने काम पर ध्यान दे रही हैं। उनका ध्यान विकास कार्य से भटकाने के लिए इस तरह के निर्रथक आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डेहरी विधायक को शहर के विकास के लिए संभव होने पर सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए था। लेकिन इस तरह का आरोप लगाकर बार बार विकास योजनाओं में बाधा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सारे आरोपों का किसी भी तरह का कोई भी आधार नहीं हैं।
”लोकायुक्त ने खारिज कर दी थी शिकायत”
उन्होंने कहा कि इस मामले में लोकायुक्त के पास दर्ज कराई गई शिकायत को खारिज किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डेहरी में इसे जारी किया गया था। इस मामले में पहले भी शिकायत की गई थी। लेकिन उसको खारिज किया जा चुका है।
डीएम को पत्र लिखकर की गई थी शिकायत
दरअसल, इस मामले में विवाद तब बढ़ा जब डेहरी विधायक ने डीएम से शिकायत की। डीएम को विधायक ने एक पत्र लिखा था। जिसमें जाति प्रमाण पत्र पर सवाल खड़ा करते हुए इसकी जांच की मांग की गई थी। दो बार पार्षद निर्वाचित होने वाली विशाखा सिंह महाराष्ट्र की रहने वाली हैं। उनकी जाति को 2015 में बिहार में ईबीसी कोटे में शामिल किया गया था। 2017 के चुनाव के दौरान जाति के आरक्षण का लाभ इन्हें मिला और वो डेहरी की मुख्य पार्षद बनने में कामयाब हुई। इस मामले में पहले भी लोकायुक्त से शिकायत की गई थी। मुख्य पार्षद का कहना है कि 2018 में ही इसे खारिज कर दिया गया। जिसके बाद इस मुद्दे को तरजीह देने की जरुरत नहीं है।
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