जमशेदपुर (पश्चिमी सिंहभूम)। भाजपा के उलीडिह मंडल के द्वारा आज जननायक बिरसा मुंडा को उनकी पुण्यतिथि पर उनके आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित की गई। इस अवसर पर उलीडिह मंडल के भाजपा अध्यक्ष अमरेन्द्र पासवान ने कहा कि बिरसा मुंडा एक महान क्रांतिकारी एवं सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। सन 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला.1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।
पासवान ने कहा कि जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे. बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं। अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये।
पासवान ने कहा कि अंग्रेजी शासन ने बिरसा जी को 1900 में आदिवासी लोगो को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 2 साल की सजा हो गई और अंततः 9 जून 1900 में अंग्रेजो द्वारा उन्हें एक धीमा जहर देने के कारण उनकी मौत हो गई। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को महामानव की तरह पूजा जाता है।आज भी वह देश के सबसे बड़े स्वतन्त्रता सेनानी और मूलनिवासीयो के नायक और आदर्श है।