दरिहट। वट सावित्री का पूजा भारतीय संस्कृति में आदर्श नारी और पतिवर्ता के लिए ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है वही दरिहट एवं आसपास के क्षेत्रों में दिन गुरूवार को महिलाओं ने बड़े ही धूमधाम एवं श्रद्धा व विश्वास के साथ बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर मां सावित्री का पूजा अर्चना की । वही दरिहट के गोद में बसा अर्जुन बीघा गांव में स्थित व प्राचीन नाग बाबा मंदिर परिसर में बरगद के पेड़ से सैकड़ों महिलाएं पूजा कर अपने पति की स्वास्थ एवं दीर्घायु होने की कामना की। पूजा करती विद्यावती देवी, प्रिया सिंह उर्फ कुंती देवी ,सोनी देवी, रीमा देवी, सरस्वती देवी व अन्य महिलाओं ने बताया कि वट सावित्री का पूजा ज्येष्ट महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। वहां मौजूद विद्यावती देवी व प्रिया सिंह ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वटवृक्ष या बरगद के पेड़ के तने में भगवान विष्णु ,जड़ में ब्रह्मा तथा शाखाओं में शिव का वास होता है। वट वृक्ष को त्रिमूर्ति का प्रतीक माना जाता है। विशाल एवं दीर्घजीवी होने के कारण वह वट वृक्ष की पूजा कर व लंबी आयु की कामना के लिए की जाती है। सोनी देवी ने बताया कि इस पूजा में सुहागिन महिलाएं सोलह सिंगार कर पूजा करती है। उन्होंने बताया कि इस पूजा में बांस की लकड़ी का बना पंखा एवं बरगद के पेड़ में धागा बांधने का एक विशेष महत्व माना जाता है। विद्यावती देवी ने बताया कि पूजा संपन्न होने के उपरांत ब्राह्मण व गरीबों को दान अवश्य दी जाती है।