डेहरी ऑन सोन (रोहतास). बिहार में पंचायत चुनाव टालने से नई व्यवस्था के साथ पंचायत सरकार चलेगी त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधियों को कानून बनाकर उनके अधिकार को बरकरार रखा है सरकार ने गांवों में चल रहे विकास कार्यों की गति को सुचारू रखने के लिए नया मार्ग ढूंढ लिया है इसके तहत अब 16 जून से गांव में ग्राम पंचायत परामर्शी समिति की सरकार होगी इसके बाद मुखिया जी अब प्रधान परामर्शी समिति के नाम से जाने जाएंगे बिहार में यह व्यवस्था पहली बार हो रही है इसके तहत ग्राम पंचायत ग्राम परामर्शी समिति, पंचायत समिति पंचायत परामर्श समिति और जिला परिषद जिला परामर्शी समिति बन जाएगी। सरकार ने पंचायत के मुखिया को पंचायत परामर्शी समिति के प्रधान के रूप में कार्य व अधिकार देने का फैसला लिया है। परामर्शी समिति के गठन अधिकार व कार्य को लेकर जल्द ही दिशा निर्देश पंचायती राज विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। अब सरकार के निर्णय से डेहरी प्रखंड क्षेत्रों में 283 जनप्रतिनिधियों का अधिकार कुछ महीने के लिए मिलना तय हो गया है। जहां डेहरी प्रखंड क्षेत्रों में 13 मुखिया जिप सदस्य 2 पंचायत समिति सदस्य 18 वार्ड सदस्य 192 जनप्रतिनिधि शामिल हैं।
पीएमएफएस के जरिए राज्य व केंद्र पंचायत को राशि देती है फंड नहीं आने से पंचायतों के कामकाज ठप हो जाते अफसरों के भरोसे पंचायत के कार्यों को पूरा करने से अफसरशाही हावी होने की आशंका बढ़ती जा रही थी इन सबसे बेहतर सरकार ने परामर्शी समिति बनाकर एक पंथ दो काज मुहावरे को यथार्थ बनाया है।
पंचायत चुनाव टलने के कारण नई व्यवस्था
व्यवस्था नई लेकिन जिम्मेदारी पहले की ही तरह सरकार ने अपनी इस नई व्यवस्था में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के नाम और जिम्मेदारियों में कम से कम बदलाव की कोशिश की है वजह है कि पंचायत सरकार के तीनों स्तरों पर काम करने वाले जनप्रतिनिधि से लेकर सरकारी सेवकों तक को नई व्यवस्था के साथ सामंजस्य बैठाने में कोई खास परेशानी नहीं हो पंचायत में विकास कार्य गति, मॉनिटरिंग का खास ध्यान रखा गया है ताकि पंचायतों के विकास कार्यो में किसी प्रकार का सरकारी रुकावट नहीं आ सके.
ई पेमेंट सिस्टम नई व्यवस्था का बना कारण
अप्रैल 2021 से पंचायतों के लेन-देन में पारदर्शिता के लिए अभी पेमेंट सिस्टम लागू हो गया है इस सिस्टम में डबल डोंगल सिस्टम के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का वित्तीय कामकाज होता है इस सिस्टम में एक डोंगल सरकारी प्रतिनिधि और एक डोंगल पंचायतीराज प्रतिनिधियों के पास होता है दोनों डोंगल के लगने और दोनों के डिजिटल हस्ताक्षर का मिलान होने पर ही भुगतान ऑनलाइन होता है ऐसे में अगर सरकार अधिकारियों के हाथ में पूरे कामकाज को सौंप दी तो सेकंड डोंगल के लिए नई व्यवस्था करनी होती और इस पूरी प्रक्रिया में ही महीनों लग जाते दूसरी और अफसरशाही पर अंकुश नहीं लग पाता ऐसे में दोनों डोंगल अधिकारियों के पास होने पर वित्तीय अनियमितता का बड़ा खतरा था.
मुखिया संघ ने सरकार की नीति को सराहा
डेहरी प्रखंड मुखिया संघ के हीरा लाल सिन्हा ने कहा कि सरकार के इस फैसले का समर्थन करता हूं उन्होंने कहा कि वित्तीय मामलों का अधिकार भले ना मिले लेकिन सरकार ने मुखिया के अधिकार और सम्मान को बनाए रखने में कारगर कदम उठाया है सरकार पंचायत परामर्शी समिति के प्रधान के रूप में स्थान दिया है मुखिया को सम्मान ही दिया है इसके लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं हालांकि अभी तक कोई अस्पष्ट गाइडलाइन नहीं आया है देखिए सरकार क्या करती है।