अवनीश मेहरा, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। बिजनेस में लाखों का घाटा हो रहा था। खुद का निजी स्कूल बंद और स्टाफ के सामने भूखमरी की समस्या। बिहार के डालमियानगर इलाके के रहने वाले इस शख्स ने इसके बावजूद हार नहीं मानी। स्वरोजगार का विकल्प अपना कर इस शख्स ने अपनी नियति बदल ली। प्रेरणा से भरी उनकी कहानी आपको भी दंग कर देगी। दरअसल, डालमियानगर के एकता चौक पर रहने वाले समीर कुमार लंबे समय से व्य़वसाय कर रहे थे। इसके अलावा अपने निजी स्कूल का संचालन भी। लेकिन कोरोना काल ने काफी बड़ी आर्थिक संकट पैदा कर दिया था। लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। बिहार में नेटवर्किंग बिजनेस से लोग दूरी बनाते हैं। लेकिन उन्होंने बिक्रमगंज में एक निजी स्कूल का संचालन करने वाले अखिलेश कुमार से मुलाकात की। जिसके बाद वो उनको आरसीएम नामक कंपनी से जोड़ने में कामयाब हुए। इस विकल्प ने केवल 6 महीने में उनकी नियति बदल दी। लॉकडाउन के दौरान भी उनको कंपनी से हर महीने 10-12 हजार रुपए की आमदनी हो रही थी। अब को इसी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। कंपनी के 800 प्रोडक्ट्स की खरीद उनके दुकान से आम लोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में रोजगार के विकल्प काफी कम हैं। लेकिन स्वरोजगार का विकल्प अपनाकर लोग अपने जीवन को बदल सकते हैं।