सासाराम. शहर में किशोरों में बढ़ती नशाखोरी से आजिज होकर एक मां ने अपने ही बेटे के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखवाई. नगर थाना पुलिस भी बिना देरी किए किशोर को हिरासत में ले लिया और उसे झट किशोर न्याय परिषद के समक्ष पेश किया. जब मां को आशंका हुई कि उसका बेटा जे जा सकता है, तब उसका ममत्व जग उठा और उसकी आंखों से बरबस आंसू टकपने लगे.
झट से उसने हिरासत में लिए गए पुत्र को सुधारने का एक मौका देने का बोर्ड से आग्ह करने लगी. इस पर किशोर न्याय परिषद के प्रभारी प्रधान दंडाधिकारी सचिन कुमार मिश्रा व सदस्य संतोष कुमार ने बिना देरी किए किशोर के सर्वोत्तम हित को देखते हुए उसे उसकी मां को सौंप दिया.
साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया कि किशोर को अपनी देखरेख में नशा मुक्ति केंद्र में अविलंब भर्ती कराया जाए. ताकि उसे नशे से छुटकारा मिल सके. साथ ही एक सप्ताह के बाद किशोर को बोर्ड के समक्ष पेश कराया जाए.
नगर थाना क्षेत्र एक मोहल्ले में मां अपने पुत्र के नशाखोरी से परेशान हो गई थी. किशोर पुत्र ने उसका जीना हराम कर दिया था. तब उसने नगर थाने में बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई. प्राथमिकी में मां का कहना था कि उसका बेटा पिछले पांच साल से हेरोइन का सेवन करता है. उसने मेरे पर्स से 27,000 रुपए का चोरी कर ली. जब उससे पूछताछ की तो वह गाली-गलौच और मारपीट करने लगा. जब घर में पैसा नहीं मिलता है तो वह कोई भी सामान बेचकर हेरोइन पी जाता है. उसकी करतूत से तंग आकर नशा मुक्ति केंद्र को सूचित करना पड़ा.
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मां द्वारा कराई गई प्राथमिकी समाज में किशोरों में बढ़ती नशाखोरी की ओर इंगित करता है कि शहर में किस प्रकार मादक करता है कि शहर में किस प्रकार मादक द्रव्यों की अवैध व्यापार के चलते किशोर प्रभावित हो रहे हैं. एक मां प्राथमिकी दर्ज कराते समय अपने नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करती है. लेकिन पुत्र के हिरासत में जाने की आशंका ने दुविधा में डाल दिया और वह बोर्ड से बेटे को सुधारने का एक मौका देने का आग्रह करने लगती है. वह सब देख कर बोर्ड के समक्ष उपस्थित लोगों की आंखें भर आईं. लोग वही कह रहे थे कि आज भी मां का ममत्व जिंदा है. पुत्र भले कुपुत्र हो जाए, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती. ऐसे में बोर्ड का यह निर्णय आने वाले दिनों में किशोरों को राह दिखाने के काम आ सकता है. जो अपनी मां के ऊपर जुल्म ढाते हैं. जिन्हें वह नौ महीने तक अपनी कोख में पालती है.