हैदरनगर. झारखंड सरकार के द्वारा कर्मचारी चयन आयोग से तृतीय व चतुर्थ वर्ग में बहाली के लिए नई नियमावली पलामू के छात्रों के लिए अभीशाप हैं. उक्त बातें जीएलए कॉलेज के स्नातकोत्तर के छात्र रंजन कुमार यादव ने कही. उन्होंने कहा कि चूंकि नई नियमावली के अनूकूल विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने के लिए उर्दू, संथाली, बंहला, मुंडारी, खड़िया, कुड़ख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंच, परगनिया और उड़िया भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है. तथा इन भाषा के प्राप्तांक के आधार पर मेधी सूची बनाने का निर्णय लिया गया है. परंतु पलामू प्रमंडल के विद्यार्थियों को इनमें से किसी भी भाषा को पढ़ना, लिखना और बोलना नहीं आता. ऐसे में पलामू के विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.
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क्षेत्रीय भाषा के रूप में पलामू के बोली जाने वाली मगही भाषा को क्षेत्रीय भाषा मानते हुए जेटेट की परीक्षाएं आयोजित होती रही हैं. हिंदी और मगही भाषा को हटने से पलामू के लाखों विद्यार्थियों के लिए ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण साबित होगा. हम युवाओं को उम्मीद है कि झारखंड सरकार इन पर पुनर्विचार करेगी. अन्यथा छात्र उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे.