नौहट्टा संवाददाता (रोहतास). रोहतास जिले के नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी पर कैमूर रोहतास सीमा पर दुर्गम जंगल मे स्थित हरैयाडीह गांव को स्वास्थ्य विभाग की टीम अपने कब्जे मे लेकर डायरिया पर नियंत्रण पा लिया। अभी मरीजों का ईलाज जारी है लेकिन सारे मरीज खतरा से बाहर है। जानकारी के अनुसार सीएस के निर्देश पर चिकित्सा प्रभारी मुकेश कुमार रूपक सिंह व राजेश कुमार चुटिया से खुखमा घाटी से पैदल निकले। छः घंटा पैदल जंगल मे चलकर सलमा गांव होते दुर्गावती नदी होते सात बजे शाम मे हरैयाडीह पहुंचे। तबतक टीम पानी व दवा लेकर पहुंच चुकी थी। चिकित्सा प्रभारी मुकेश कुमार घर घर जाकर मरीजों को देखा। घर घर मे गंदगी फैला था। मैले कुचैले कपड़े गंदगी पर भीनभीनाती मक्खियों को देख ग्रामीणों को समझाया। सारी बीमारी का जड़ गंदगी है। रात मे ही मिडील स्कूल खोलवाकर साफ-सफाई कराई तथा स्कूल को ही अस्पताल बना दिया।
ग्रामीणों की मदद से शुरू किया गया इलाज
ग्रामीणों के मदद से स्कूल मे सभी मरीजों को भर्ती कर ईलाज शुरू किया।मोबाइल के लाइट से मरीजों को देखा गया। एक दो घंटे मे स्थिति को नियंत्रित कर लिया। चिकित्सक ने मरीजों को समझाया कि खिचड़ी खाइए गर्म पानी पीजीए तथा डोरी के तेल मत खाइए। चिकित्सक के सलाह पर मरीज भड़क गए। मरीजों ने कहा खिचड़ी के लिए दाल कहां से लाऐंगे, जंगल पानी शुद्ध है, डोरी का तेल शुद्ध होता है हम इसे ही खाऐंगे। बड़ी मुश्किल से चिकित्सक ने सभी को समझाया। वही गांव की गंदगी को साफ करने का निर्देश दिया। मिडील स्कूल मे चौतीस लोगों को ईलाज किया जा रहा है। तीन दिन से बारिश नही होने के कारण कुरमुरा, दुर्गावती व झोरगर नदी शांत है। पानी की कमी हो गयी थी पुनः शनिवार मुखिया श्यामनारायण उरांव को दस पेटी पानी लेकर हरैयाडीह जा रहे हैं ।
स्वास्थ्य विभाग का दावा- किसी भी तरह की मरीजों को नहीं होगी परेशानी
प्रबंधक रूपक सिंह ने बताया कि पंद्रह पेटी पानी व दवा सासाराम से भी पहाड पर जा रहा है।दुर्गम क्षेत्र है लेकिन किसी तरह की कमी स्वास्थ्य विभाग की ओर से नही होगा।स्थानीय चिकित्सक व एएनएम उर्मिला कुमारी को निर्देश देकर दो बजे रात मे चिकित्सक पुनः पैदल चलकर नौहट्टा पहुंचे। चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि नौहट्टा या रोहतास से चिकित्सा सुविधा देर से पहुंचेगी तथा कैमूर के अधौरा से तत्काल सुविधा मिल जाएगी। इसके लिए वरीय पदाधिकारियों को कैमुर से सहयोग लेने का सुझाव दिया गया है।बता दें विगत पांच वर्षों मे डायरिया से तीन दर्जन से अधिक मरे है। ऐसा पहली बार हुआ कि डायरिया से किसी की मौत स्वास्थ्य विभाग नही होने दिया। डायरिया को पुरी तरह नियंत्रित कर लिया गया।