बोतल छोड़ो स्तनपान से नाता जोड़ो अभियान पर दिया जा रहा बल
- मां का दूध 6 माह तक के नवजात शिशुओं के लिए लाभदायक: डीपीओ
सासाराम (रोहतास) कुपोषण को दूर करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के तहत चलाए जा रहे पोषण माह अभियान के दौरान आंगनवाड़ी क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को स्थानीय स्तर पर पोस्टिक खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। पूरे 1 माह तक चलने वाले इस अभियान को चार थीम के तहत संचालित किए जा रहे हैं। पोषण माह के तीसरे हप्ते 16 सितंबर से 23 सितंबर तक चलने वाले तीसरी थीम में आंगनवाड़ी से जुड़ी लाभार्थियों को स्थानीय पोषण किट का वितरण के तहत बोतल से दूध पिलाने मुक्त गांव घोषित करने का अभियान चलाया गया। इसके तहत जिले में पदस्थापित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदी, महिला पंचायती राज्य सदस्य, वार्ड सदस्य, आशा आदि अपने अपने कार्य क्षेत्रों में घूम घूम कर स्तनपान और माँ के दूध का महत्व और बाहरी(फार्मूला) दूध के हानिकारक कारकों को बता रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा आशा के साथ आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीकृत महिलाओं के घर-घर जाकर बोतल के दूध पिलाने का हानिकारक प्रभावों में बता कर उसका उपयोग न करने की सलाह दी जा रही है।
स्थानीय पोषण आहार जरूरी
आईसीडीएस डीपीओ रश्मि रंजन ने बताया कि पोषण माह का मुख्य मकसद लोगों को स्थानीय स्तर पर पोषण आहार के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि शिशु के जन्म के पूर्व गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार मिलना अति आवश्यक है ताकि बच्चों को होने वाले कुपोषण जैसी बीमारी से बचाया जा सके। इसके लिए स्थानीय स्तर पर पौष्टिक खाद्य पदार्थ गर्भवती महिलाओं के लिए उत्तम आहार साबित होता है। उन्होंने कहा कि पोषण माह के तीसरे सप्ताह के दौरान स्थानीय पोषण किट का वितरण किया जाना है जिसमें सत्तू, बाजरा, गुड रागी इत्यादि जैसे खाद्य पदार्थ मौजूद रहेंगे। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पोस्टिक खाद्यान्न जैसे बाजरा, हरी सब्जियां, पारंपरिक भोजन पर जागरूकता फैलाई जाएगी। इसके अलावा समुदाय के मध्य स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पौष्टिक खाद्य सामग्री से भोजन बनाने का प्रदर्शन और बाजरा सहित अन्य मोटे अनाज के प्रयोग से पौष्टिक आहार बनाने का प्रदर्शन किया जाएगा।