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दिनेश तिवारी
चेनारी (रोहतास) देश की आजादी में जिले के चेनारी प्रखंड के वीर सपूतों का अहम योगदान रहा है। सन 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन में चेनारी प्रखंड के लोगों का अहम रोल रहा है। चेनारी प्रखंड के 40 वीर सपूत 15 अगस्त 1942 को अपने हाथों में तिरंगा लिए स्थानीय थाना पर जिंदाबाद का नारा लगाते हुए थाना के छत पर देश की शान तिरंगे को लहरा दिया। प्रखंड के वीर सपूतो ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन में कूद पड़े सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। जो हमसे टकरायगा वो हमारी ठोकरो से खाक में मिल जाएगा। वक्त की तूफा में बह जाएगी जुल्मे सितम आँसमा पे ये तिरंगा उम्र भर लहरायेगा का अपने दिलो मे जोश लिए कितने वीर सपूतों ने गुलामी के जंजीरो में जकड़ी अपनी भारत माता को आजाद कराने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिए कुर्बान कर दी और कितने लोग जेल की सलाखों में कैद हो गए। इसी संदर्भ में चेनारी प्रखंड के 40 आंदोलनकारियों के जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया था। आंदोलनकारियों के नाम इस प्रकार हैं तिलकधारी पांडेय, लक्ष्मी सिंह, सुरेंद्र नाथ गुप्ता, नन्हकू मियां, राम सुंदर गुप्त, जमीर उल्लाह मियां, राम रूप साह, हीरालाल, कुबेर तिवारी, जोखन दुबे, मुखारी तिवारी, भगन कानू , जतन वर्मा, किशोर पांडेय, बाल रूप बिंद, बेचू पांडेय, नगीना लाल, गणेश लोहार, हरशु पांडेय, कैलाश सेठ, रामस्वरूप नोनिया, गोकुल साह, भगेलु माली, लखन सेठ, लोगन तेली, ज्योति पांडेय, राम प्रसाद, योगानंद, शिवनंद गोस्वामी, अवध सिंह, बाउल पांडेय, प्रसाद पांडेय, चंद्र पांडेय, महेश्वरी, रामविलास पांडेय, निहोरा पांडेय आदि शामिल है। उस समय के अंग्रेज एसडीओ एच बी मार्टन ने केस नंबर 1197/121 जी आर दर्ज कर 150 रू का जुर्माना के साथ 3 माह की कठोर सजा सुनाई। देश की आजादी के लिए यह सभी वीर सपूतों ने कहा कि क्या पता कब मौत का पैगाम आ जाए जिंदगी का आखिरी कब शाम आ जाए। ऐसे मौकों का तलाश करता हूं ऐ मेरे दोस्त यह जिंदगी भी मेरे देश के काम आ जाए कहावत को चरितार्थ करते हुए अपने भविष्य को अनिश्चय और अंधकार के गर्त में तिरोहित कर मातृभूमि की पुकार सुनकर स्वाधीनता संग्राम एवं स्वाभिमान की दीपशिखा को प्रज्वलित कर ब्रिटिश साम्राज्य के अन्याय और दमन के शिकार हुए लाखों लोगो को न्याय दिलाने एवं मातृभूमि को अंग्रेजी शासन से अजाद कराने के लिए कारावास की काल कोठरी मे अकल्पनीय यातनाएं सही तथा कारावास की कठोर यातनाएं झेल कर देश को स्वतंत्र कराने मे आपना स्मरणीय योगदान देकर हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रपति के द्वारा पच्चीसवाँ स्वतंत्रता समारोह में ताम्र पदक से सम्मानित किया गया था। आज भी चेनारी प्रखंड मुख्यालय पर एवं चेनारी के गांधी स्मारक पर चेनारी के 40 वीर सपूतों का नाम संगमरमर पर अंकित है। इन्हीं आंदोलनकारियों में एक थे चेनारी के प्रेरणा स्रोत हाजी ननकू मियां महान स्वतंत्रता सेनानी इनकी मृत्यु उस समय हुई जब 15 अगस्त 2002 जिला पदाधिकारी रोहतास के आमंत्रण पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए सासाराम रेलवे मैदान के समारोह स्थल पर झंडोतोलन में शामिल होने के लिए गये थे। झंडोतोलन हो रहा था ठीक उसी समय उन्होंने अपना प्राण त्यागे थे। महान स्वतंत्रता सेनानी हाजी ननकू मियां के मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र व रोहतास जिला स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष राही साहाबादी ने चेनारी प्रखंड मुख्यालय पर स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर पार्क बनाने की मांग आवेदन देकर भारत सरकार और बिहार सरकार से उसी समय किया था। उस पर कार्रवाई करते हुए भारत सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुख्यमंत्री के निजी सचिव को पार्क के निर्माण में कार्य करने का अनुरोध किया था। उस अनुरोध को स्वीकार करते हुए बिहार सरकार ने जिलाधिकारी रोहतास को चेनारी प्रखंड मुख्यालय पर जमीन खोज कर पार्क निर्माण करने के दिशा में कार्य करने का आदेश दिया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी अब तक स्थानीय प्रशासनीक स्तर पर स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर पार्क का निर्माण नही हो सका। केंद्र सरकार द्वारा ताम्रपत्र से विभूषित महान स्वतंत्रता सेनानी हाजी ननकू मियां ने सोचा भी नहीं होगा कि राज्य सरकार के निर्देश के बावजूद यह हश्र होगा। उत्तराधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री को दिए गए आवेदन में भी जमीन का उल्लेख है। लेकिन दुर्भाग्य है कि जिला पदाधिकारी रोहतास एवं अंचलाधिकारी चेनारी वस्तुस्थिति की जानकारी के बावजूद खामोश हैं। लेकिन स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी आदेशों की अवहेलना के विरुद्ध समाहरणालय परिसर में धरना और प्रदर्शन करने का भी मन बना लिया है। शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, मातृभूमि पर मरने वाले का अंतिम यही निशा होगी उत्तराधिकारियों की हालत चिंताजनक है। उनके उत्तराधिकारियों के माँगों पर सरकार को विचार करने की जरूरत है। इस संदर्भ में रोहतास जिला स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष राही शाहाबादी ने कहा है कि उत्तराधिकारीयों को सरकारी योजनाओं का लाभ सरकार द्वारा दिया जाय।
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