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- ‘मैं हूं भिखारी’ और ‘गबरघिचोर’ का मंचन
भिखारी ठाकुर लोक जागरण के सूत्रधार थे — नवाब आलम
खगौल (पटना) सांस्कृतिक संस्था सूत्रधार द्वारा जमालुद्दीन चक स्थित कार्यालय परिसर में भिखारी ठाकुर की १३४ वी जयंती का भव्य आयोजन किया गया ।दो चरणों में भी विभक्त इस कार्यक्रम के पहले चरण में भिखारी ठाकुर के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। भिखारी ठाकुर जयंती समारोह का उदघाटन शिक्षाविद, योग विशेषज्ञ हृदय नारायण झा एवं पूर्व मुखिया मो फिरोज अहमद ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने की। संचालन पत्रकार अशोक कुणाल ने किया। आरंभ में आगत अतिथियों का स्वागत सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम अधिवक्ता ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भिखारी ठाकुर ने लोक कला को नई ऊंचाई दी है। भिखारी ठाकुर लोग जागरण के सूत्रधार थे। नवाब आलम ने भिखारी ठाकुर कालजई नाटककार बताते हुए उनके नाटकों को अधिक से अधिक मंचित करने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने कहा कि सूत्रधार भिखारी ठाकुर के लोक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में मुख्य अतिथि योग विशेषज्ञ हृदय नारायण झा ने कहा भिखारी ठाकुर कम पढ़े लिखे थे इसके बावजूद उनके लोकनाट्य में भरतमुनि के नाट्य शास्त्र में बताए गए अभिनय के आंगिक, वाचिक, आहार्य और सात्विक चारों अंगों का समावेश है। यह आज रंगकर्म से जुड़े सभी कलाकारों के साथ साथ समाज और राष्ट्रहित में कार्य करने वाले सभी के लिए महान प्रेरणा स्रोत हैं उन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों को अपने लोकनाट्य का विषय बनाया। आज भी समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर शराबबंदी, बाल विवाह और दहेज समस्या को दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ऐसे में भिखारी ठाकुर के अवदानो से प्रेरणा लेकर वर्तमान में समाज की कुरीतियों को दूर करने में सहायक नाट्य प्रस्तुतियों के लिए कलाकारों को सोचने की जरूरत है। भोजपुरी में अश्लीलता को दूर करने के लिए भोजपुरी संस्कृति में निहित जीवन मूल्यों के प्रति चेतना जगाने की जरूरत है उन्होंने कहा कि नवाब आलम ने भिखारी ठाकुर की सादगी और सहजता को आत्मसात किया है जमालुद्दीन चक में जयंती समारोह मनाकर। इसके लिए सूत्रधार और उसके महासचिव नवाब आलम बधाई के पात्र हैं । वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी विनोद शंकर मिश्र ने कहा कि भिखारी ठाकुर को विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। भिखारी ठाकुर हम रंगकर्मियों के लिए बहुत बड़े प्रेरणा स्रोत है, वही वरिष्ठ रंगकर्मी वीरेंद्र कुमार ने कहा कि आज रंगकर्म की धारा को भिखारी ठाकुर की ओर मोड़ने की आवश्यकता है तभी रंगकर्म की सार्थकता होगी। भिखारी ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पत्रकार और साहित्यकार प्रसिद्ध यादव ने कहा के भिखारी ठाकुर को महज एक नाटककार के रूप में सीमित नहीं किया जा सकता उन्होंने गरीबी, पलायन, महिलाओं की विवशता, जात-पात, ऊंच-नीच भेदभाव टूटते बिखरते घर परिवार आदि विषयों को प्रमुखता से उठाया। जिसकी जड़ से आज भी हमारा समाज मुक्त नहीं हो पाया है। भिखारी ठाकुर के विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। विचार गोष्ठी को रंगकर्मी, पत्रकार और निर्भय पंक्षी के संपादक राम नारायण पाठक ने संबोधित करते हुए कहा कि भिखारी ठाकुर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों ही महान है युगों में ऐसी प्रतिभा आती है। समाजसेवी अखिलेश्वर कुमार उर्फ मुन्ना ने कहा कि आवश्यकता है कि भिखारी ठाकुर के नाटकों का मंचन किया जाए उन्होंने कहा कि नवाब आलम और सूत्रधार भिखारी की लोक परंपरा को और मृतप्राय लोक कला को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है।
संगोष्ठी को मोहम्मद सदीक, भोला सिंह, चंदू प्रिंस , विष्णु कुमार ,अमन कुमार, सज्जाद आलम राघवेंद्र कुमार,पप्पू कुमार सहित दर्जनों रंग कर्मियों ने संबोधित किया।
समारोह के दूसरे सत्र में सूत्रधार के कलाकारों द्वारा भिखारी के गीतों और नाटक “गबरघिचोर” की प्रभावशाली प्रस्तुति की गई,कलाकारों में नीरज कुमार,रत्नेश कुमार,शशिभूषण कुमार,दीपक कुमार,आर्यन कुमार,तनु कुमारी एवं निशा कुमारी ने अपने अभिनय से सबका दिल जीत लिया। ” पुरवा बहे रामा पछुआ बहेला कि
नैना से बहे मोरा नीर रे विदेशिया” के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति से दर्शक झूम उठे तत्पश्चात
रंगकर्मी और सूत्रधार के निर्देशक नीरज कुमार ने ” मैं हूं भिखारी” एकल नाटक के माध्यम से भिखारी ठाकुर के जीवन और उनके संघर्ष, पीड़ा और त्रासदी के प्रसंगों को भावपूर्ण अभिनय से जीवंत कर दिया।
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