
करगहर (रोहतास) प्रखंड क्षेत्र में बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। आषाढ़ के इस मौसम में एक बूंद भी बारिश नहीं हो सकी। जिससे क्षेत्र में अकाल की छाया मंडराने लगी है। सोन नहर परियोजना द्वारा इस क्षेत्र में नहरों का जाल बिछाया गया है। लेकिन, नहरों से टेल एंड तक पानी नहीं पहुंचने के करण बिचड़े सूखने लगे हैं। रोपे गए धान के पौधे सूखने लगे हैं। पानी के अभाव में खेतों में दरार उभर आए हैं ।किसानों ने बताया कि रोहणी नक्षत्र शुरू होते हीं वे धान के बिचड़े डाल देते हैं। जो 25 जून तक रोपनी के लिए तैयार हो जाते हैं। बिचड़ो को समय से पानी देने के लिए विद्युत मोटर व डीजल इंजन पंप सेट का सहारा लेना पड़ता है। जिसमें उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि किसान 25 जून से 30 जुलाई तक रोपनी का कार्य पूरा कर लेते हैं। लेकिन समय से वर्षा नहीं होने की वजह से रोपनी क्या कार्य काफी पिछड़ गया है।
नहरों के भरोसे कुछ क्षेत्रों में धान की रोपनी का कार्य किया गया है। लेकिन, नहरों में अनियमित पानी आपूर्ति से रोपे गए धान के पौधे सूखने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर बिजली की अनियमित आपूर्ति से बिचड़े भी सूखने के कगार पर हैं। किसानों ने बताया कि इतनी कम बारिश 1965 में हुई थी। जब किसानों को भीषण अकाल दंस झेलना पड़ा था। उन्होंने बताया कि अगर 2 सप्ताह तक वर्षा नहीं हुई तो धान के बिचड़े और रोपे गए पौधे सूख जाएंगे । ऐसी स्थिति में खरीफ फसल की पैदावार से किसानों की उम्मीदें टूट जाएंगी । किसान नेता रामाशंकर सरकार ने बताया कि करगहर और कोचस प्रखंड के लगभग 500 गांवों के दो लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए गारा चौबे मुख्य नहर से एक दर्जन से अधिक नहरों से सिंचाई की जाती है। जिनमें रसूलपुर राजवाहा, बलथरी राजवाहा, खुर्माबाद राजवाहा, सोनवर्षा, पड़हुती, लोकनाथपुर, गोगहरा, कथराई, रघुनाथपुर, करगहर राजवाहा, सलथुआ राजवाहा और दुमदुमा राजवाहा प्रमुख हैं। लेकिन, इन नहरों के उद्गम स्थल से सात किलोमीटर की दूरी पर किसानों द्वारा नहर को बांध कर सिंचाई का कार्य किया जा रहा है।
