सासाराम (रोहतास) इतिहास संकलन समिति बिहार एवं इंडिका फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें भारतीय इतिहास के साथ साजिश के तहत शुरू से ही धोखा किया गया है। अबतक हमें जो पढ़ाया गया है, वह भारत का इतिहास नहीं है। अब इतिहास को सुधारा जा रहा है। जिससे देशवासी अपने शौर्य, साहस व पराक्रम से परिचित हो सकें। स्थानीय संत पाल स्कूल के उमा आडिटोरियम में शनिवार को रोहतास का इतिहास और देश की आजादी में योगदान विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डा. बालमुकुंद पांडेय ने यह बातें कही।
इतिहास संकलन समिति बिहार व इंडिका फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. पांडेय ने कहा कि हमें शकों, हूणों, अंग्रेजों, जर्मनों, जापानियों, खिलजी, मुगलों, तुर्कों आदि का इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। इससे लगता है कि भारत का तो अपना कोई इतिहास ही नहीं है। इसलिए आवश्यकता है कि भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टि से देखा जाए। विद्यार्थियों के समक्ष समस्या है कि वे राणा प्रताप को महान कहे या अकबर को, शिवाजी को महान कहे या औरंगजेब को। देश में सड़कें हैं तो उनके नाम पर, इमारतें हैं तो उनके नाम पर। इसलिए आवश्यक है कि युवा इतिहासकार भारतीय इतिहास के मूल स्रोत तक जाएं।
देश पर सदियों से हो रहे हमलाें से जिन्होंने संघर्ष किया है, उनका इतिहास पढ़ें। इतिहास संकलन समिति बिहार के अध्यक्ष प्रो. राजीव रंजन ने कहा कि अब तक इतिहास में ऐसे लोगों को महिमामंडित किया गया है, जिनका कोई योगदान ही नहीं है। बाबर को सम्राट कहा जाता था, जबकि उसका शासन महज कुछ इलाकों तक ही सीमित था। हमें हुमायूं का इतिहास पढ़ाया जाता है, जिसे सासाराम के एक युवक ने मार भगाया था। जबकि उससे बड़े-बड़े शासन क्षेत्र दक्षिण व पश्चिम भारत में मौजूद थे, जिन्हें पाठ्यक्रम में जगह नहीं मिलता।
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डा. नंदकिशोर तिवारी ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन ने कहा था कि इतिहास का ज्ञान करना है तो गांवों में जाओ। इतिहास संकलन समिति के बिहार के संगठन महासचिव शैलेश कुमार शर्मा आजादी में बिहार के योगदान पर चर्चा की। विषय प्रवेश इतिहास संकलन समिति बिहार के सदस्य डा. श्यामसुंदर तिवारी ने रोहतास के इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व पर किया। धन्यवाद ज्ञापन इतिहास संकलन समिति के संरक्षक अविनाश कुमार शर्मा व मंच संचालन कवि शंभू नाथ दुबे ने किया।