
सासाराम (रोहतास) कोचिंग संचालकों की मनमानी पर डीएम धर्मेंद्र कुमार ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। डीएम ने सुबह 8:40 से शाम 4:30 बजे तक जिले भर में कोचिंग संचालन पर रोक लगा दी है। यह आदेश कक्षा 6 से 12 तक के लिए जारी किया गया है। डीएम ने कहा कि स्कूल – कॉलेजों के समय पर ही कोचिंग का संचालन किया जाता है। जिससे क्लास रूम में बच्चों की उपस्थिति कम रहती है। इसलिए सुबह 8 बजकर 40 मिनट से शाम साढ़े चार बजे तक क्लास 6 से प्लस टू तक के कोचिंग संचालन पर रोक लगा दी गई है। उक्त अवधि के दौरान अगर किसी कोचिंग सेंटर में शैक्षणिक कार्य होते पाया गया तो संबंधित संस्थानों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग से कोचिंग संस्थानों की सूची मांगी गई है। बिना रजिस्ट्रेशन के अब कोचिंग नहीं चलेंगे।
स्कूल – कॉलेज के समय पर हीं होता है कोचिंग संचालित
जिले में शिक्षा विभाग के आदेश का कोचिंग संचालक पालन नहीं कर रहे हैं। डीएम ने जिले में सरकारी स्कूल – कॉलेजों में छात्रों की कम हो रही उपस्थिति की वजह जानने का प्रयास किया तो यह बात सामने आई कि कोचिंग संचालकों की वजह से छात्र स्कूल नहीं आ पाते हैं। इसके लिए जिले में एक टीम बनाकर कमियों को पता करने व छात्रों को विद्यालय से जोड़ने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की मॉनिटरिंग भी की गई। गठित टीम ने भी कहा था कि कोचिंग संस्थान के कारण स्कूली छात्र विद्यालय नहीं आ पाते हैं कारण कि स्कूल के समय में ही कोचिंग का संचालन होता है। जिसके बाद डीएम ने निर्णय लिया है कि स्कूल के समय में कोचिंग संस्थान नहीं चलेंगे। अगर कोई संचालक स्कूल समय में कोचिंग चलाते हैं तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निगरानी की जबावदेही दी गई है।
कोई नियम – कानून नहीं, जैसी मर्जी वैसी हो रही पढ़ाई :
जिले में कोचिंग संस्थानों की अपनी मनमानी है। वे जब चाहते हैं जैसे चाहते हैं कोचिंग संचालित करते हैं और किसी से यह भी छिपा हुआ नहीं है कि एक बैच में कितने बच्चे होते हैं। अभी तो शहर में कई ऐसे कोचिंग संस्थान चला रहे हैं जो बच्चों की पढ़ाई कम, मार्केटिंग व अपने कोचिंग संस्थान के प्रचार – प्रसार के लिए ही ज्यादा ध्यान दिला रहे हैं। इसके अलावा कई संस्थान ऐसा भी है जिसमें छात्रों की संख्या एक बैच में 200-300 है । एक बेंच पर 6 से 7 छात्रों को बैठाया जाता है। कमरे में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था भी नहीं रहती है। शायद ही किसी कोचिंग में शौचालय एवं पेयजल का भी उचित प्रबंध होगा।
