पुस्तक समीक्षा- ”आपकी जिद्द , आपकी जीत”
प्रमोद टैगोर (पत्रकार)
अखिलेश कुमार एक ऐसा नाम , जो बिहार के शाहाबाद प्रक्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नही है। एक शिक्षक , एक समाजसेवी और अनाथों के नाथ के रूप में तो पहचान पहले से है। लेकिन एक नई पहचान भी इन्हे मिली हैं। वह है एक लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में। अखिलेश की पहली किताब आपकी जिद्द , आपकी जीत काफी चर्चा में है। बिहार के रोहतास जिले के पंजरी ग्राम में जन्में अखिलेश का यह किताब इंसान को अपने जीवन में कामयाब होना और जीवन को अलग नज़रिए से देखना सिखाती है। किताब में व्यक्ति को जीवन के हर पड़ाव पर सकारात्मक रुख अपनाने की सलाह दी गई है। अखिलेश ने अपनी भी जीवन के संघर्षों को समेटते हुए पुस्तक के माध्यम से दूसरों को उत्साहवर्धन करते दिखते हैं और मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करते है। लेखक अपने निवेदन में इंसान को हनुमान जैसे शक्ति की उपमा देते हैं। वे बताना चाहतें हैं कि यह पुस्तक लोगों के लिए जामवंत की भूमिका निभाने में सहायक सिद्ध होगा , जो इंसान को उसके अंदर निहित शक्तियों को जागृत कर हनुमान जैसा सफल और श्रेष्ठ बनाने के प्रति प्रेरित करेगा। लेखक कामयाबी के लिए कौशल और इच्छाशक्ति जैसे गुणों को प्रमुखता के साथ सहजने का प्रयास करते हैं।
इंसान को उनकी इच्छाशक्ति को प्रबल बनाने के लिए कृष्ण की भूमिका की ओर अपनी पुस्तक को ले जाने का प्रयास करते नजर आते हैं। लेखक का स्पष्ट विचार है कि जीतने वाला कोई बड़ा काम नहीं करता , परंतु प्रत्येक काम को बड़े मन से करता है। किसी को जीवन में सफल बनाने के लिए लेखक ने सीखने की ललक , पढ़ने की ललक और सुनने की ललक जैसे सामान्यता तीन गुणों का होना आवश्यक बताया है। लेखक को पूर्ण विश्वास है कि उनकी पुस्तक आपकी जिद , आपकी जीत जीवन को सफल , सुखद और श्रेष्ठ बनाने में जामवंत और कृष्ण की भूमिका निसंदेह निभाएगा। इस पुस्तक में 11 अध्याय है। पहली अध्याय है आप कौन हैं ? आपका उद्देश्य क्या है ? पहली अध्याय में बहुत सारे विचारणीय प्रश्न भी है। विज्ञान के कई उदाहरण और कहानियों के माध्यम से किसी व्यक्ति को दुनिया में आने के उद्देश्यों से परिचित कराया गया है। प्रथम अध्याय के अंत में लेखक ने जोखिम और सफलता को एक संबंध में बांधने का प्रयास किया है। मानना है कि जो जोखिम उठाता है , वही सफलता की कहानी गढ़ता है।
दूसरा अध्याय इंसान को खुद को अपना आकलन करने की ओर इंगित करता है। लेखक बताना चाहते हैं कि इंसान अपना आकलन बेहतर ढंग से नहीं कर पाते हैं ? नतीजा असफलता के साथ जीने की आदत बन जाती है। लोगों को पारिवारिक पृष्ठभूमि से खुद का आकलन नहीं करने और औरों की बातें नहीं सुनने की बातों पर जोर देते नजर आते हैं। मन की बातें सुनने की पहलुओं को प्रमुखता से रखते हैं। इंसान को अपनी कीमत उसके आंतरिक गुणों के आधार पर निर्धारित करने और जीवन में सुधार करते हुए आगे बढ़ने के प्रति प्रेरित करते हैं।
तीसरे अध्याय का शीर्षक बड़ा ही रोचक है। आपकी सोच..! कई सफल पुरुष और महापुरुषों की उक्तियों को रखते हुए बड़ी ही बेहतर ढंग से सकारात्मक और नकारात्मक सोच में अंतर स्पष्ट किया गया है। सकारात्मक सोच के निर्माण के लिए लेखक ने कई बेहतर उदाहरण दिया है। उन्होंने दृष्टि का प्रभाव , श्रवण का प्रभाव , शिक्षा का प्रभाव और अनुभव के प्रभाव को बारीकियों के साथ समझाने का प्रयास किया है। अपने अंदर सकारात्मक सोच को बढ़ाने , निरंतर अच्छा देखने , अच्छा खोजने , शीघ्र करने की आदत बनाने और निरंतर सीखते रहने के लिए हमेशा उत्सुक रहने की बातों पर बल देते हैं।
चौथे अध्याय में जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारण पर फोकस हैं। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए महाभारत के अर्जुन का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। लेखक बताना चाहते हैं कि लक्ष्य का निर्धारण कर उस दिशा में निरंतर प्रयास और मेहनत के साथ खुद पर विश्वास करना भी जरूरी हैं , तभी उसका इतिहास लिखा जा सकता है। पांचवें अध्याय में इच्छा शक्ति के बल पर सफलता की कहानी लिखने की गूढ़ विषयों को समझाया गया है। लेखक का मानना है कि कमजोर इच्छाशक्ति से कभी भी सफलता हांसिल नहीं की जा सकती। मजबूत इच्छाशक्ति के सामने शारीरिक दिव्यांगता भी हार जाती है विश्व के प्रथम दिव्यांग माउंटेनियम महिला अरुणिमा सिन्हा का उदाहरण से इच्छाशक्ति के बल को समझाने का प्रयास किया है।
किताब के छठे अध्याय संकल्प शक्ति के द्वारा शारीरिक दुर्बलता को भी सफलता में परिवर्तित अर्थों को समेटा गया है। लेखक ने अपनी किताब के सातवें अध्याय में स्पष्ट रूप से कर्म के पीछे उत्साह और नीरूत्साह जैसे मानसिकता को बारीकियों के साथ समझाने का प्रयास किया है। अपने कर्तव्यों में कभी भी परिणाम पर केंद्रित नहीं होने की ओर इशारा किया गया है। किताब के आठवें अध्याय आपकी जीत से आपकी जीत तक के अर्थों को पिरोते नजर आता है। जुनून , जोखिम और जंग को जीतने के लिए मजबूत आधार माना गया है।
पुस्तक के नवें अध्याय आत्मविश्वास ही विकास का आधार है के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है कि इंसान के अंदर असीमित शक्तियां छिपी होती है , बस उसे जागृत करने की जरूरत है। आत्मविश्वास ही इंसान को सदैव कर्तव्य पथ पर अडिग रखता है। आत्मविश्वास की कमी के कारण व आत्मविश्वास को वृद्धि करने की बारीकियों से भी लेखक रूबरू कराते नजर आते हैं। किसी के जीवन में सफलता के लिए उसके व्यवहार जीत या हार का आधार हैं। अच्छे व्यवहार , स्वाभिमान और अहंकार में अंतर , एक अच्छे श्रोता बनने व अनुचित बहस से बचने की सलाह भी दी गई।
लेखक ने अपने पुस्तक के दसवें अध्याय में व्यवहार को बहुत ही बारीकियों से समझाया है। यह बताने का प्रयास किया गया है कि व्यवहारिक व्यक्ति के लिए सफलता का मार्ग सरल और सुगम होता है। अंतिम और ग्यारहवें अध्याय को पुस्तक का सार कहा जा सकता है। अभाव में ही प्रभाव जन्म लेता है के माध्यम से विपरीत परिस्थितियों में निखरने की कला को समझाया गया है। इस अध्याय में वर्ष 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में 32 वा स्थान लाने वाले वरुण बरनवाल का उदाहरण के रूप में समझाते हुए बताने का प्रयास किया गया है कि कैसे वे नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। हालांकि पुस्तक के हर अध्यायों में वैसे लोगों का उदाहरण को रखा गया है , जिन्होंने विषम परिस्थितियों का डटकर सामना किया और आगे चलकर एक इतिहास गढ़ डाला। निष्कर्ष , अखिलेश कुमार की पुस्तक अन्य पुस्तकों से हटकर है। यह जीवन में विकट परिस्थितियों में हमें नई उर्जा प्रदान करती नजर आती है। पुस्तक में विषम परिस्थितियों से लड़कर हमें एक रास्ता देने की ओर प्रेरित करती है। कई कामयाब लोगो का उदाहरण पुस्तक को रोचक बना देती हैं। किताब पढ़ते वक्त कही भी आपको उबाऊ महसूस नहीं होगी।
साहित्य और धार्मिक ग्रंथों के उदाहरण से किताब को अग्रणी श्रेणी में रखने का सफल प्रयास काफी बेहतर दिखती है। लेखक ने कई रोचक उदाहरण पेश किया हैं , जो पढ़ने वालों को मोटिवेशन के साथ-साथ एक नई उर्जा प्रदान करती है। कुल मिलाकर अखिलेश कुमार की पहली प्रयास के रूप में आपकी जिद्द ..आपकी जीत एक पथप्रदर्शक और मार्गदर्शक की भूमिका में एक बेहतर प्रयास कहा जा सकता है।
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( समीक्षक जाने -माने पत्रकार हैं )