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डिजिटल टीम, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। बिहार में आगामी नगर निकाय चुनाव पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इस मामले में दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया। राज्य निर्वाचन आयोग को कहा कि ईबीसी के आरक्षण को समाप्त कर नए सिरे से अधिसूचना जारी कि जाए। इसके साथ ही ईबीसी के पदों को सामान्य के तौर पर करने की भी बात कही गई है। गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को बिहार में नगर निकाय चुनाव होने थे। न्यूज 18 हिन्दी की खबर के अनुसार, पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। पटना हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले में सबसे ज्यादा नाराजगी राज्य निर्वाचन आयोग पर जतायी है। मंगलवार को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस। कुमार की बेंच ने अपना फैसला दिया। बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।
कोर्ट के इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। जानकारी के मुताबिक अतिपिछड़ा सीट सामान्य माने जाएंगे। हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने नियमों का पालन नहीं किया है। ताजा अपडेट के मुताबिक अतिपिछड़े सीट को सामान्य करार देकर चुनाव कराया जा सकता है लेकिन इस प्रक्रिया में घोषित मतदान की तिथि में चुनाव होना संभव नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार का राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिक जिम्मेवारी का पालन करने में विफल रहा। दरअसल, निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी।
जानिए क्यों लगा नगर निकाय चुनाव पर ग्रहण
नगर निकाय चुनाव से पहले पटना उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। इस फैसले के कारण आगामी चुनाव पर लगभग ग्रहण लग गया है। मंगलवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में नोटिफाइड कर चुनाव कराए जाएंगे। अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर अपनी नाराजगी जताई और कहा कि वो मतदान की डेट आगे बढ़ाना चाहते हों, तो बढ़ा सकते हैं। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और एस कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
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