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इंद्रपूरी जलाशय परियोजना पर रोहतास जिले के मटियांव में विमर्श का आयोजन
पूर्व मंत्री और झारखंड के विधायक सरयू राय ने कहा- इन्द्रपुरी जलाशय निर्माण होने से क्षेत्र का विकास होगा
नदी किनारे ही सभ्यता संस्कृति विकसित हुई है: बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान
केबी न्यूज मीडिया ग्रुप ने रोहतास जिले के नौहट्टा प्रखंड के मटियांव में रविवार को अंतरराज्यीय इंद्रपूरी जलाशय परियोजना पर विमर्श का आयोजन किया. इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने कहा कि इसके निर्माण में किसी भी तरह की बाधा नहीं आएगी. वे खुद झारखंड सरकार से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका निर्माण बिहार और झारखंड के विकास से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि नदियों को संरक्षित किए बिना किसी भी तरह का विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले सिंचाई का विभाग होता था अब जल संसाधन का विभाग है ।क्योंकि हमने मान लिया है कि जल ही एक ऐसा संसाधन है जिसके आधार पर विकास कर सकते हैं। और संसाधन है तो हम उसका खूब उपयोग करें। आप देख सकते हैं इन्द्रपुरी के नीचे डेहरी ऑन सोन के सोन नदी में पूरे साल जीवंत नहीं रहता है। नदी को निर्मल रखा जाए स्वच्छ रखा जाए। साथ ही निरंतर प्रवाहित होने वाला रखा जाए क्योंकि नदी पर तो सबका अधिकार है। नदी को हमने या किसी सरकार ने बनाया नहीं है वह इस क्षेत्र के भूगोल के हिसाब से पानी के धारा के प्रवाह निर्भर करता है ।पानी को जहां जाना है वहां चला जाता है उसके मार्ग में व पहाड़ भी रहता है तो उसे तोड़ कर पानी आगे बढ़ता है। नदियों के किनारे कई सभ्यता का विकास हुआ है । मैं सोन के उद्गम स्थल से लेकर जहां गंगा में मिला है वहां तक भ्रमण किया हूं ।
इस मौके पर मुख्य वक्ता भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने राम मनोहर लोहिया को याद किया. उन्होंने कहा कि लोहिया कहते थे कि अगर मैं राजनीति नहीं करता तो स्कूल में शिक्षक होता और नदियों के इतिहास को समझता। राम की अयोध्या सरयू के किनारे कुरु पंचाल और मौर्य गंगा के किनारे और शेरसनी नगर राजधानी यमुना के किनारे। हजारों वर्ष का इतिहास देखिएगा तो सभी प्रमुख सभ्यता व संस्कृति नदियों के किनारे रहे हैं। नदियों का हमारे विकास में एक अलग ही महत्व है ।वर्षों पहले परिचय का माध्यम नदी था।
सासाराम की धरती ने तय की है देश के राजनीति की दिशा
उन्होंने कहा कि सासाराम की धरती ने देश की राजनीति की दिशा को तय किया है. दलित समाज का पहला व्यक्ति उप प्रधानमंत्री बना तो दूसरी ओर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोकसभा की अध्यक्ष मीरा कुमार बनीं. उन्होंने केबी न्यूज के इस प्रयास की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र ऐसा है कि जहां मुद्दों पर वैचारिक मतभिन्नता के बावजूद एक साथ बैठकर अपनी बातों को रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्रीय जल आयोग के साथ-साथ तीन प्रदेशों की सरकारों को साथ आना होगा. इसके लिए जरूरी है कि प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति की. इस मामले में सब साथ खड़े हो. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक संकल्प लेना है. जिसमें सभी सर्वोच्च त्याग, तपस्या और बलिदान के लिए तैयार रहें।
विशिष्ट अतिथि भारतीय जन मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि विचारक सरयू राय जी ने अविभाजित बिहार के विकास के मुद्दों पर काम करने के लिए लगातार सक्रिय रहे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे अपने स्तर से लगातार प्रयास करेंगे. विशिष्ट अतिथि बलराम मिश्रा ने कहा कि शाहाबाद के किसानों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इंद्रपूरी जलाशय परियोजना का निर्माण जरूरी है.
संबोधन करते हुए समाजसेवी इंजीनियर विनय चंचल ने कहा कि इंद्रपूरी जलाशय परियोजना के निर्माण से पूरे शाहाबाद और मगध इलाके की 22 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी. पर्यटन के विकास से इलाके के लोगों के लिए रोजगार का अवसर बढ़ेगा. 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. उन्होंने बताया कि 2017 से केंद्रीय जल आयोग के पास इसका प्री-डीपआर विचाराधीन है. इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है.
सभी सरकारों को एक साथ खड़ा होना होगा. सार्थक पहल से इस मामले का समाधान संभव है. उन्होंने बताया कि 2010 में कंटूर सर्वे शुरू हुआ था. जो साल 2013 में पूरा हुआ. सर्वे ऑफ इंडिया नें इसकी रिपोर्ट सौंप दी है. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकारी की शंकाओं और आपत्तियों को जल्द दूर करने की जरूरत है. कहा कि अगर इस जल्द शुरू नहीं किया गया तो निर्माण कार्य में होने वाला खर्च और बढ़ता जाएगा.
विस्थापितों पर भी दिया जाए विशेष ध्यान
उन्होंने कहा कि विस्थापितों की समस्या को सबसे पहले दूर करने की जरूरत है. उन्हें परियोजना शुरू होने से पहले नौकरी के अलावा कृषि योग्य भूमि दी जाए. साथ ही पूरे यदुनाथपुर पंचायत में विकास कार्य जारी रहे. जिससे ग्रामीणों का जीवन सही तरीके से चलता रहे.
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी संतोष उपाध्याय, शिक्षाविद् मैकू राम, बीजेपी नेता राजेश्वर प्रसाद कुशवाहा, स्थानीय मुखिया भोला कुमार चेरो, मुखिया अरूण कुमार चौबे ने लोगों को संबोधित करते हुए अपनी बातें रखी.
इस दौरान बीजेपी नेता संजय तिवारी, समाजसेवी संजय पासवान, कुलदीप चौधरी, मटियांव के निवासी नवीन कुमार सिंह, वरीय पत्रकार उपेंद्र मिश्र, मदन कुमार, ओम प्रकाश कुशवाहा, विनय पाठक, विजय पाठक, बिंदू दूबे, कृष्णा गुप्ता, पूर्व मुखिया विनोद सिंह, वरीय अधिवक्ता उमाशंकर पाण्डेय उर्फ मुटुर पाण्डेय, मुन्ना दूबे, टीम डेहरियंस के आरके सिंह, लाल बंदे तिवारी, बीडीसी कृष्णा यादव, गुड्डू सिंह, रामनाथ सिंह, बीजेपी नेता संजीव गुप्ता, राघवेंद्र सिंह विशु, अमित तिवारी, चांद चौबे, किसान विजय मिश्रा समेत अन्य उपस्थित थे।
इंद्रपुरी जलाशय निर्माण की बाधाओं को किया जाएगा दूर, आज होगी बैठक – सरजू राय
बिहार व झारखंड की सीमा पर सोन नदी पर चार दशक से लम्बित पडे इंद्रपुरी जलाशय परियोजना के निर्माण में बाधाओं को दूर किया जाएगा। बिहार और झारखंड के हित में इसका निर्माण होना अति आवश्यक है।झारखंड व बिहार के बीच जलाशय निर्माण की बाधाओं को ले सोमवार को रांची में वहां के जल संसाधन विभाग के अधिकारियो के साथ बैठक करेंगे ।
भारतीय जनतंत्र मोर्चा के नेता , विधायक व सरकारी उपक्रम समिति के अध्यक्ष सरजू राय ने उक्त बातें रविवार को रोहतास जिले के जलाशय परियोजना स्थल मठियाव में संवाद कर्यक्रम में कहीं।उन्होंने कहा कि इंद्रपुरी जलाशय के निर्माण के निर्णय के बाद झारखंड राज्य का गठन हुआ। उन्होंने कहा कि जलाशय के निर्माण में झारखंड के हित का भी ध्यान रखने को ले पेच फंसा हुआ है ।जिस पर बिहार सरकार को अपने छोटे भाई झारखंड पर भी ध्यान देना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि सोमवारको इस संबंध में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ रांची में बैठक होगी। जिसमें आने वाली बाधाओं को दूर करने पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इंद्रपुरी जलाशय के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश के सोन के उद्गम स्थल अमरकंटक से लेकर सोन गंगा के मिलन स्थल बिहटा तक पदयात्रा की थी ।इसके निर्माण के लिए पटना उच्च न्यायालय भी गए थे। अभी इसका मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है ।
उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार चाहती है कि जिस इलाके में जलाशय का निर्माण हो रहा है वह अति सूखा प्रभावित गढ़वा और पलामू जिले है ।उन इलाकों के खेतों के लिए सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण कर पानी आपूर्ति की उनकी मांग है ।जबकि इंद्रपुरी जलाशय के निर्माण में पानी का उपयोग बिहार करेगा और वहां से उत्पादित जल विद्युत का उपयोग झारखंड करेगा। जिसके लिए झारखंड सहमत नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2017 में निर्माण स्थल मटीआव में निरीक्षण कर डीपीआर तैयार कराया जो केंद्रीय जल आयोग में लम्बित है । उन्होंने भरोसा दिया कि झारखंड की मांग पर वे खुद मुख्यमंत्री से वार्ता कर बाधाओं को दूर कराने की पहल करेगे ।
जानिए क्या है सोन नहर प्रणाली
^ 1853 में शाहबाद जिले में सिचाई व्यवस्था का विचार फौजी अभियंता लेफिटीनेंट सी एच डिकेन्स के मन मे उपजा।
^ 1861 में डिकेन्स के प्रस्ताव को आधार मानकर सोन नहर परियोजना बनी । यह जाड़े की फसल की पैदावार बढ़ाने को ले निर्माण किया गया ।
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डेहरी के एनीकट को मूलाधर मान यह बराज का निर्माण किया गया। 1872 में सोन नहरों का नहर श्रृंखला का निर्माण चल ही रह था कि 1873 में अकाल के समय बड़ी नहर को जगह जगह काटकर सिचाई की गई ।
^ 1878 में पूरी नहर प्रणाली का निर्माण पूर्ण हो गई। इससे से साढ़े ग्यारह लाख एकड़ की सिचाई होने लगी।
^ 1876 में आरा मुख्य नहर व 1880 में बक्सर नहर से पानी व नौपरिवहन के लिए खोल दिया गया।
-परियोजना का उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए किसानों को पानी उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही 450 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य रखा गया है।
माना जा रहा है कि इस परियोजना की अनुमानित लागत आठ से 10 हजार करोड़ रुपये होगी। अ
-वाणसागर परियोजना निर्माण काल में राज्य सरकार के साथ एक समझौता हुआ था. डेहरी-ऑन-सोन में एनीकट पर बना बराज अंग्रेजों के जमाने का था। बाद इंद्रपुरी में बराज का निर्माण कराया गया। सीडब्लयूसी के नियमानुसार इसे आवश्यकता अनुसार जल वाणसागर द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इसके एवज में बिहार सरकार बांध निर्माण व मरम्मत में आने वाले लागत खर्च में साझेदारी के अनुसार राशि देती है.
-जलाशय के निर्माण का लाभ बिहार के आठ जिलों को मिलेगा. 450 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन की योजना है। केंद्रीय जल आयोग की बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में झारखंड व उत्तर प्रदेश के हिस्सेदारी देकर शेष बिजली बिहार को उपलब्ध कराई जाएगी। इस कार्य के दौरान बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश के 90 गांवों का विस्थापन होगा।
^ सोन के बालू भरने के बाद 1965 में इंदपुरी में बराज का निर्माण किया गया ।
^ सोन नहरों की पानी के लिए उत्तरप्रदेश व मध्य प्रदेश से आनेवाले पानी पर निर्भरता बढ़ी। सोन नहरों के जीवंत रखने को 1973 में मध्य प्रदेश के बाणसागर जलाशय परियोजना का निर्माण का निर्णय बिहार, उत्तर प्रदेश व बिहार की सरकार ने समझौता किया।
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