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KB News > समाचार > राष्ट्रीय > पोषण एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने नए खाद्य लेबलिंग में सावधानी बरतने की मांग की
राष्ट्रीय

पोषण एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने नए खाद्य लेबलिंग में सावधानी बरतने की मांग की

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2022/11/03 at 4:27 AM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published November 3, 2022
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पटना, 02 नवंबर: राजधानी पटना के प्रतिष्ठित संस्थान आद्री में बुधवार को मानवाधिकार जन निगरानी समिति, बंदी अधिकार आन्दोलन, पीपल, उद्देश्य भारती, इंडियन रोटी बैंक – पटना और सावित्री बाई फुले महिला पंचायत के संयुक्त तत्वाधान में बाल पोषण अधिकार और पैकेज फूडलेबलिंग पर राज्य स्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया| कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत और विषय वास्तु रखते हुए बंदी अधिकार आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक श्री संतोष उपाध्याय ने कहा कि “भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में बहुप्रतीक्षित एक स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित एफओपीएल विनियम को जारी करके, उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के पोषक तत्वों के साथ खाद्य लेबलिंग उपभोक्ताओं को सचेत निर्णय लेने में मदद करने के बजाय भ्रमित ही करेगा।“

हालांकि खाद्य लेबलिंग के कई डिजायन हैं, जिनमें चेतावनी लेबल, ट्रैफ़िक लाइट सिस्टम, न्यूट्री-स्कोर, गाइडलाइन डेली अमाउंट, और हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) प्रमुख हैं। कई रिसर्च और उपभोक्ता सर्वेक्षण के मुताबिक इसमें चेतावनी लेबल सबसे कारगार साबित हो सकता है, जो उपभोक्ताओं को स्वस्थ्य विकल्प अपनाने में मदद करता है। भारत में शीर्ष चिकित्सा और अनुसंधान संस्थानों द्वारा किए गए कई अध्ययनों में पाया गया है कि लोग स्पष्ट चेतावनी लेबल पसंद करते हैं जो यह बताता है कि उत्पादों में अस्वास्थ्यकर सामग्री अधिक है या नहीं।

 

आद्री के डायरेक्टर डॉ० प्रभात पी घोष ने कहा कि भारत ने प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य और पेय उद्योग में तेजी से उछाल देखा है। इन खाद्य पदार्थों की अधिक खपत, जो आमतौर पर नमक, चीनी और संतृप्त वसा में उच्च होते हैं, भारत में कई बढ़ते बीमारियों की वजह भी हैं। भारत में हर साल 58 लाख से अधिक भारतीय गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे कैंसर, मधुमेह, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। इन बिमारियों में सभी नहीं तो अधिकतर बिमारियों का इलाज मुश्किल है, लेकिन एक बेहतर स्वस्थ्य खाद्य सिस्टम से इनको रोका जा सकता है।

भारत में खाद्य और पेय उद्योग 34 मिलियन टन की बिक्री के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। अध्ययनों से पता चला है कि भारतीय घरों में – शहरी और ग्रामीण दोनों में, 53% बच्चे सप्ताह में औसतन दो बार से अधिक नमकीन पैकेज्ड फूड जैसे चिप्स और इंस्टेंट नूडल्स का सेवन करते हैं, 56% बच्चे चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे मीठे पैकेज्ड फूड का सेवन करते हैं और 49% बच्चे चीनी-मीठे पैकेज्ड पेय का सेवन करते हैं। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इस तरह का सेहत को हानि पहुंचाने वाले आहार किसी भी अन्य जोखिमों की तुलना में दुनिया भर में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं, और यह मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है। एक स्वस्थ आबादी के लिए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के पैक के सामने एक अनिवार्य चेतावनी को एक प्रभावी नीतिगत समाधान माना जाता है।

इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के संस्थापक व संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा, “देश में विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में एनसीडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार को अविलम्ब ‘चेतावनी लेबल’ के साथ एफओपीएल लाना चाहिए| जिससे खाद्य और स्वास्थ्य के मामले अपनी अग्रणी भूमिका निभा सके| इसके अलावा भारत, जहां हृदय रोग के वैश्विक बोझ का 25% हिस्सा है, को सरल चेतावनियों से सबसे अधिक लाभ होगा जो लोगों को आसानी से सचेत कर सकता है।”उन्होंने आगे कहा कि ‘चेतावनी लेबल’ के साथ एफओपीएल लाने से भारत खाद्य उद्योग में विश्व में अपनी अग्रणी भूमिका निभा सकता है|

श्री अभिषेक प्रताप,मुख्य सलाहकार फ़ूड पालिसी प्रोग्राम, ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा हाल में जारी किये गए मसौदे को साझा किया| उन्होंने चिली, ब्राजील, मैक्सिको और अर्जेंटीना जैसे देशों में अपने अनुभव के बारे में बोलते हुए, “भारत के पास सबसे प्रभावी डबल ड्यूटी एक्शन में से एक को पेश करने का अवसर है – एक प्रभावी एफओपीएल सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में सक्षम है। चेतावनी लेबल अब तक का सबसे प्रभावी FOP लेबलिंग सिस्टम है। वे उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य के लिये हानिकारक उत्पादों को त्वरित और सरल तरीके से पहचानने में मदद करते हैं और उन्हें खरीदने के लिए हतोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए चिली में, ‘हाई इन’ ब्लैक अष्टकोणीय आकार के चेतावनी लेबल के परिणामस्वरूप डिब्बाबंद पेय पदार्थों की खरीद में तेजी से गिरावट आई है।”

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री व सदस्य विधान परिषद् व शिक्षाविद प्रो० संजय पासवान जी ने अपने अध्यक्षीय उतबोधन में कहा कि , “नियमित व्यायाम करने और सक्रिय जीवन जीने के साथ-साथ उच्च वसा, नमक और चीनी और तंबाकू के उपयोग से भरे अल्ट्रा-प्रोसेस फूड से बचने जैसे व्यवहार संबंधी बदलावों को अपना करके अधिकांश हृदय रोगों को रोका जा सकता है।”

 

बच्चो के पोषण अधिकार की रक्षा के लिए एफओपीएल चेतावनी लेबल के साथ का समर्थन यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ श्री रबी नारायण परही, सुश्री निशा झा, पूर्व अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग – बिहार व महिला अधिकार कार्यकर्ता, श्री रुपेश, संयोजक राईट टू फ़ूड कैंपेन बिहार, सुश्री शाहीना परवीन, इंडियन रोटी बैंक- बिहार, डॉ दिवाकर तेजस्वी, डायरेक्टर मेडिसिन व फिजिशियन समेत कई बाल व पोषण विशेषज्ञ ने अपनी बात रखी|

इस कार्यक्रम में क़रीब बिहार के तक़रीबन 45 कार्यक्रम में पोषण विशेषज्ञ, शिक्षाविद, बाल विशेषज्ञ व नागर समाज के लोग उपस्थित थे| मुख्य तौर पर विजयकांत सिंहा, प्रो चंद्रभूषण राय, डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, अवध कुमार, प्रमोद कुमार, बचपन बचाओ आंदोलन के राज्य संयोजक मुख्तारुल हक के अलावा अन्य शामिल थे. धन्यवाद ज्ञापन श्री तुषार कान्त उपाध्याय, सचिव उद्देश्य भारती ने दिया|

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: dehri news, rohtas news
GOVINDA MISHRA November 3, 2022 November 3, 2022
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