प्रमोद टैगोर, पत्रकार
मैं पिछले दिनों मॉरीशस प्रवास पर था। मॉरीशस भोजपुरी भाषी देश है। वहां मित्रों के साथ भोजपुरी गीत – संगीत में फैली अश्लीलता पर जमकर बातें हुई। बातचीत में भोजपुरी के संस्कारित गीत-संगीत में आकंठ समायी अश्लीलता-फूहड़ता को लेकर वहां के लोगों में गंभीर चिंता दिखी। भोजपुरी गायिकी में अश्लीलता को लेकर मॉरीशस के भोजपुरी भाषियों के दिलों में एक दर्द स्पष्ट झलक रही थी। उनके दर्दों के बीच भोजपुरी के कुछ गायक कलाकारों को लेकर भी चर्चाएं हुई। वैसे गायक – गायिकाओं की चर्चाएं , जिन्होंने सर्वथा अपना स्थान अलग रखा। अश्लीलता और अश्लील गायिकी से खुद को दूर रखा। अश्लीलता को उनकी आवाजों ने सदा बहिष्कार किया। अपने मधुर आवाज की बदौलत सात समंदर पार भी भोजपुरी के मान-सम्मान को बढ़ाया। कभी अश्लील गाने नहीं गाये। सुखद बात है कि उनकी पॉपुलरिटी में आज भी कोई कमी नहीं आई हैं। मॉरीशस के भोजपुरी भाषियों में भोजपुरी की चर्चित गायिका देवी और उनकी गायिकी के प्रति काफी सम्मान दिखा। पद्म विभूषण बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के बाद वहां के लोग ने देवी को भोजपुरी गायिकी का एक मजबूत स्तंभ बताया। मॉरीशस के लोगों में देवी की गायिकी के प्रति इतना सम्मान दिखा कि उन्हे वे आधुनिक भोजपुरी की स्वर-साम्राज्ञी के रूप में देख रहें हैं। वैसे भी भोजपुरी शेक्सपियर भिखारी ठाकुर , महेंद्र मिश्र के रचनाओं को गायिकी में पिरोने और भोजपुरी गायन संस्कृति को जिस शालीनता के साथ गायिका देवी सहेज रही हैं , उस परिपाटी में अगर उन्हें भोजपुरी के स्वर-साम्राज्ञी का नाम दिया जा रहा है तो कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है। वैसे गायिका देवी काफी पढ़ी-लिखी और शिक्षित परिवार से ताल्लुक भी रखती हैं। माता और पिता दोनों व्याख्याता हैं।
सात समंदर पार तक भोजपुरी भाषियों में देवी के प्रति बढ़ रही सम्मान से उनकी गायिकी की चर्चाएं भी जरूरी हो जाती हैं। भोजपुरी गायन संस्कृति में एक अलग स्थान रखने वाली गायिका देवी का अबतक 75 से अधिक एलबम आ चुके हैं। देवी की गायिकी के महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि उनके सभी एल्बमो के गीत साफ – सुथरी और भोजपुरी मिठास को घोलती नजर आती हैं। अश्लीलता की झलक तक नही आती। यही कारण है कि देवी की गायन संस्कृति सबसे अलग और भोजपुरी की गरिमा को बढ़ाती नजर आती है। गायिकी की लम्बा सफर तय करने में देवी का संघर्ष कम चुनौतीपूर्ण नही हैं। वर्ष 2002 में अपनी पहली एलबम के लिए देवी को कई कंपनियों के दरवाजे खटकानी पड़ी थी। लेकिन कोई भी कंपनी ने देवी के अच्छी गायिकी को समझ नही पाया। अंततः 2003 में एक लोकल कंपनी ने पुरवा बयार नाम से एक एलबम को रिलीज किया। यह देवी का पहला एलबम था और वह काफी हिट रही। अपनी पहली एलबम से ही देवी ने भोजपुरी गायन जगत में स्थान बना लिया। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। आज देवी भोजपुरी गायन में वैसी मुकाम बना चुकी हैं , जिनका नाम काफी सम्मान के साथ लिया जाता है।
देवी की दो बड़ी बहनें और एक भाई भी हैं। बड़ी बहन का नाम नेहा और छोटी बहन का नाम नीति है। भाई का नाम राज है। यह संयोग ही हैं कि 10 अप्रैल को चैत नवरात्रि में जन्म होने के कारण पिता ने देवी नाम रख दिया था। देवी को बचपन से ही गानें का शौक था। उस समय छपरा के स्कूलों में गया करती थी। बेटी को गायिकी के प्रति रुझान देख पिता ने छपरा में ही संगीत का शिक्षा दिलाना शुरू करा दिया , जहां उनका मूलतः निवास हैं। बाद में दिल्ली में संगीत की अच्छी शिक्षा ली और वहां कथक नृत्य भी सीखा। गायिकी के साथ – साथ देवी ने फिल्मों में भी अपना भाग्य आजमाया।
देवी कहती हैं कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि लोग मुझे भोजपुरी लोक गायिका के तौर पर जानते – पहचानते हैं। मेरे लिए इससे सुखद बात और क्या हो सकती है कि आज सात समंदर पार भी लोग मुझे भोजपुरी गायन संस्कृति का एक अहम हिस्सा मान रहें हैं। हालांकि देवी भोजपुरी में बढ़ अश्लीलता को लेकर काफी चिंतित भी नजर आती है। देवी का मानना हैं कि गानों में अश्लीलता सिर्फ भोजपुरी अस्मिता को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को दूषित कर रही है। इससे ज्यादा दुखद बात क्या होगी कि एक साल की बच्ची के साथ बलात्कार हो रहा है। यह भी तो अश्लीलता का गिरता स्तर है। भोजपुरी गानों में बढ़ रही अश्लीलता पर तो खूब बातें हो रही है। लेकिन इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। दिन-ब-दिन गानों के बोल ( मुखड़ा ) अश्लील होते जा रहे हैं। मैं उन लोगों से सवाल पूछना चाहती हूं , जो ऐसे गाने बनाते हैं। ऐसे गानों को छोड़कर भी भोजपुरी के कई सारे गानें हैं , जो अश्लीलता से परे हैं और लोग इन्हें बड़े चाव से सुनते हैं। भोजपुरी गायन की पुरानी साहित्य और सभ्यता पर वर्षों काम किया जा सकता है। देवी का कहना है कि संगीत एक ऐसी कला है , जो उत्तम जीवन जीने की सीख देती है। लेकिन भोजपुरी गीत-संगीत के क्षेत्र में हो रही नैतिक गिरावट दुखद है।
एक सवाल के जबाव में देवी कहती हैं कि आज भोजपुरी भाषी दो दर्जन से अधिक लोग सांसद हैं। लेकिन इससे और क्या दुःख की बात हो सकती है कि उनके द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जा रहें हैं। बिहार सरकार द्वारा भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने को लेकर भेजी गई अनुशंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोजपुरी भाषा को लेकर जो बयान दिए गए हैं , वह भविष्य के लिए एक सुखद संकेत जरूर है। हाल ही में गुगल के गुलशन में भोजपुरी गुलाब ( भाषा ) की महक ( ट्रांसलेशन ) से न सिर्फ इस भाषा को विश्व स्तर पर एक नई पहचान मिली है बल्कि आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर एक उम्मीद भी जगी हैं। भोजपुरी भाषी लोगों की लाख मांग के बावजूद भले ही अभी तक भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में जगह नहीं मिली है , लेकिन गूगल ने इसकी ताकत को पहचाना। वैसे तो भोजपुरी का प्रसार विश्व स्तर पर हो चुका है। विश्व स्तर पर हर जगह भोजपुरी भाषी लोग मिल जाएंगे। ऐसे में गूगल ट्रांसलेट की सीरीज में भोजपुरी भाषा को भी शामिल करना इस भाषा के लिए अच्छे संकेत है। यह एक अच्छी शुरुआत भी है। इससे भोजपुरी भाषा का न केवल प्रसार होगा बल्कि भोजपुरी भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने का रास्ता भी आसान हो जाएगा। लेकिन कोई भाषा जब वृहद रूप लेती है और वह वृहद समुदाय तक जाती है तो उसके भाषाई चेतना और गायिकी में फैली अश्लीलता पर भी ध्यान देना जरूरी हो जाता है , ताकि उसका स्वरूप न बिगड़े। मसलन , हाल ही के दिनों में देवी को पद्मश्री दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान भी चला था , जिसे लेकर अधिकांश लोगों द्वारा देवी के गायिकी और उन्हें पदमश्री मिलने की वकालत की थी। यह अभियान सुखद संकेत के साथ भोजपुरी में अश्लीलता को परोस रहे उन गायक – गायिकाओं के लिए एक सबक भी है।
(लेखक लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय रहे हैं. पूरे शाहाबाद इलाके में वे संस्कृति, इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर लिखने के कारण एक अलग पहचान बनाए हैं. )