
लोकेशन: राष्ट्रीय राजमार्ग, बारुण (औरंगाबाद)
दिन: सोमवार, रात के करीब 10.30 बज रहे थे। केबी न्यूज की टीम अवैध बालू के धंधे को समझने के लिए सोन पुल के पास पहुंची। औरंगाबाद की सीमा के बारुण में घाट से गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो चुकी थी। सामने कार से हम वीडियो शूट कर रहे थे। लाइनर गाड़ियों को पास कराने की तैयारी कर रहे थे। बड़े ट्रक लगातार डिपर देकर कुछ और ही इशारा कर रहे थे। हमारी टीम को देख करीब 200 मीटर दूर मौजूद लाइनर चिल्लाने लगे। सवाल यह है कि अगर इस गोरखधंधे में कोई झोल नहीं है तो किसी को घबराहट क्यों हो रही है। इसके बाद हमने डेहरी-ऑन-सोन की तरफ जाने वाली सोन पुल का जाएजा लिया। करीब 50 की संख्या में पुल पर बड़े ट्रक मौजूद थे। यूपी के नंबर वाली गाड़ियां बड़ी संख्या में दिखी। डेहरी की सीमा में एक युवा रोड के दाहिने ओर दिखा।
बताया जाता है कि देर रात में इन गाड़ियों को एक साथ पास कराने का काम शुरू होता है। यूपी की सीमा तक इस गोरखधंधे के तार जुड़े हुए हैं। सोन के बालू की सप्लाई अवैध तरीके से होती है। ओवरलोडिंग और सही चालान या चालान नहीं होने के कारण पुलिस औऱ प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा खनन विभाग के अधिकारियों के निशाने पर अवैध बालू खनन माफिया रहते हैं।
डेहरी-ऑन-सोन के दो अधिकारी इसमें कथित संलिप्तता के कारण राज्य सरकार के निशाने पर रहे। निलंबन के बाद कार्रवाई हुई। वरीय प्रशासनिक अधिकारी पर बालू माफिया कार्रवाई के दौरान हमला भी कर चुके हैं. सोन के बालू के कई रंग आपको देखने को मिलेंगे।
जानिए क्या है इस धंधे में ऐसा जो लोगों की परेशानी का कारण बनता है
फिलहाल राज्य सरकार ने तीन महीने तक बालू घाटों की बंदोबस्ती के अवधि का विस्तार किया है। जिसके लिए नियम तय किए गए हैं। उल्लंघन के बाद बड़े फाइन किया जाता है। खनन विभाग अवैध ढुलाई पर फाइन करता है। जबकि परिवहन विभाग के निशाने पर ओवरलोडेड गाड़ियां रहती है। खनन विभाग के नियमों के तहत 12 चक्का गाड़ी 500 सीएफटी बालू की ढुलाई कर सकती है। जबकि 14 चक्का गाड़ी 700 सीएफटी, 18 चक्का- 800 सीएफटी और 22 चक्का ट्रक 900 सीएफटी बालू की ढुलाई कर सकती है। व्यवसाइक ट्रैक्टर से बालू आपूर्ति की अनुमति की गई है।
क्या यूपी में जा सकता है बिहार के सोन का बालू
रोहतास जिले के खनन विभाग के अधिकारी कार्तिक कहते हैं कि फिलहाल खनन विभाग अंतर्रराज्जीय परिवहन की अनुमति नहीं दे रहा है. इस तरह के मामले में विभागीय नियमों के तहत लगातार कार्रवाई की जाती है.