
नई दिल्ली, 23 फरवरी (हि.स.)। भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूर्वी थिएटर में अपनी पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) रेजिमेंट की स्थापना की है। यह रेजिमेंट लड़ाकू जेट, यूएवी, सब सोनिक और सुपरसोनिक मिसाइल आदि जैसे दुश्मन के हवाई खतरों से भारत की रक्षा करेगी। इस रेजिमेंट को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएसएएम वेपन सिस्टम से लैस किया है। उत्तरी सीमाओं के साथ भारतीय सेना की वायु रक्षा और क्षमता विकास को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देने के लिए पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रेजिमेंट को पूर्वी थिएटर में खड़ा किया जा रहा है। इस रेजिमेंट को डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली हथियार प्रणाली से लैस किया है। एमआरएसएएम को ‘अभ्रा’ हथियार प्रणाली भी कहा जाता है। यह अत्याधुनिक मध्यम श्रेणी की वायु रक्षा हथियार प्रणाली है, जो डीआरडीओ और इज़राइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) का एक संयुक्त उद्यम है। इसमें एमएसएमई सहित भारतीय सार्वजनिक और निजी रक्षा उद्योग की भी सक्रिय भागीदारी है।
पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने एमआरएसएएम रेजिमेंट के बारे में कहा कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में इतनी बड़ी छलांग के साथ भारत जल्द ही आत्मनिर्भर हो जाएगा। यह रक्षा विनिर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय उद्देश्य के अनुरूप है। इस रेजिमेंट की स्थापना रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।