
भोपाल, 23 फरवरी (हि.स.)। भाजपा की तेज तर्रार नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कवि कुमार विश्वास की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति ली है। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर कहा है कि कुमार विश्वास तुमने तो माफी मांगते हुए भी सबको सामान्य बुद्धि का कह दिया। अब कुपढ़-अनपढ़ की बात तो पीछे छूट गई किंतु तुम्हारी बुद्धि विकृत है। यह स्थापित हो गया। कुमार विश्वास के बयान पर भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया ने भी कड़ी आपत्ति जताई है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन में विक्रमोत्सव-2023 में रामकथा कहने आए कवि कुमार विश्वास ने मंगलवार रात को कथा के दौरान वामपंथियों को कुपढ़ और आरएसएस से जुड़े लोगों को अनपढ़ कह दिया था। तब कथा के दौरान प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल सहित संघ से जुड़े कुछ लोग भी मौजूद थे। भाजपा नेताओं ने ही कथा से पहले कुमार विश्वास का स्वागत किया था। बुधवार को इस टिप्पणी से जुड़ा वीडियो बहुप्रसारित हो गया। इसके बाद बवाल शुरू हुआ। विविध प्रतिक्रियाओं के बाद वीडियो जारी कर कुमार विश्वास ने माफी मांगते हुए अपने बयान पर स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने कहा कि कथा प्रसंग में मेरे कार्यालय में काम करने वाले एक बालक पर मैंने टिप्पणी की थी। संयोग से वह आरएसएस के लिए काम करता है। मैंने उससे कहा कि तुम पढ़ा करो। वामपंथी कुपढ़ हैं, तुम अनपढ़ हो। बस इतनी-सी बात थी। कुछ विघ्न संतोषियों ने इसे फैला दिया। सभी मित्रों से आग्रह है कि जो बोल रहा हूं उसका अर्थ उस तरह से ही लगाएं। आपकी सामान्य बुद्धि में यह प्रसंग किसी और तरीके से चला गया हो तो उसके लिए मुझे क्षमा करें। जिन्होंने यह विघ्न संतोष पैदा किया है, ईश्वर उनकी बुद्धि से भी मलीनता दूर करें।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कुमार विश्वास के माफी मांगने के तरीके पर आपत्ति ली है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘कुमार विश्वास तुमने तो माफी मांगते हुए भी सबको सामान्य बुद्धि का कह दिया। अब कुपढ़, अनपढ़ की बात तो पीछे छूट गई किंतु तुम्हारी बुद्धि विकृत है, यह स्थापित हो गया’। इधर, भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया ने कहा कि संघ जैसे ईश्वरीय कार्य का हल्के शब्दों में मखौल उड़ाकर बहुत दिनों में पाई प्रसिद्धि में पल भर में बट्टा लगा लिया, वह भी श्री राम कथा की व्यास गादी से ।शोभनीय और क्षम्य नहीं हो सकती यह टिप्पणी।