
शिवसागर (रोहतास) प्रखंड क्षेत्र के उल्हो पंचायत समेत दर्जनों गाँवो में गुरुवार की शाम हल्की बारिश के साथ ओलावृष्टि से किसानों के फ़सल बर्बाद हो चुके हैं। जहाँ इस बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसानों के लाखो के फ़सल बर्बाद हो चुके हैं। साथ ही किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। आलम यह था कि प्रखंड के खासकर उल्हो पंचायत में किसानों की गेंहू की पूरी की पूरी खड़ी फसलें खराब हो गई। वहीं चना, मसूर, सरसों से लेकर अन्य फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। आपको बताते चले कि उल्हो पंचायत के उल्हो, सिंघनपुरा गांव समेत दर्जनों गांवों की तो बेमौसम बारिश और बर्फबारी ने किसानों के फसलों को काफी बर्बाद कर दिया है। जिससे किसानों में भुखमरी के डर अभी से ही सताने शुरू हो गई है। वही कई गांवों के किसान अपने फ़सल को बर्बाद होते देख स्थानीय मुखिया मनोज पासवान से मिल मुआवजा दिलाने को लेकर मांग की। जहां मुखिया ने किसानों की बात को सुन किसानों को आश्वासन दिया कि वह जल्द से जल्द अंचलाधिकारी से मिल मुआवजा दिलाने को लेकर मांग करेंगे। बता दें कि स्थानीय प्रखंड के कई पंचायत में अतिबृष्टि व ओला गिरने से रवि फसल का भारी नुकसान हुआ है। जिसको लेकर किसान फ़सल नुकसान को लेकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं।मिली जानकारी के अनुसार शिवसागर प्रखण्ड के उल्हो, सिंघनपुरा, बड़काडीह, सतीवाढ, गोतहर समेत कई गांवों में गुरुवार की देर शाम आई वारिश व ओला ने किसानों के खेत व खलिहान में रखी फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। चिंतित किसान हरिकिशुन पासवान, रामशंकर सिंह, श्रीराम पासवान, ललन यादव, काशी चौबे, बेचन बिंद के अलावे दर्जनों किसान परेशान थे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!किसानों ने बताया वर्षा व ओला वृष्टि ने खेत में लगी मसूर, चना, सरसो, मटर, गेंहू की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गया है। वही गेंहूँ की फसल 50 प्रतिशत बर्बाद होने के कगार पर है। बताया खलिहान में रखी धान के पशु चारा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। अधिक बर्फ बारी से चिंतित किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की हैं। किसानों के फ़सल बर्बाद होते देख मुखिया मनोज पासवान ने कहा कि अगर समय रहते किसानों को मुआवजा नही मिला तो हम मुआवजे की मांग को लेकर सरकार तक जाएंगे और किसानों के हक के लिए लड़ते रहेंगे। वहीं किसानों का कहना है कि दो वर्ष पहले भी हम किसानों के फ़सल भारी बारिश ओलावृष्टि के कारण फसल को काफी नुकसान हुआ था। जिसमें लाखो का पूंजी किसान को लगा था परन्तु उसका सरकार द्वारा गया मुआवजा लागत के 10 प्रतिशत भी नही था।वही हालात पर अंतिम समय हुआ। दलहन से लेकर सरसों खत्म तक सभी नष्ट हो गए। किसान आत्महत्या की कगार पर पहुंच गए। प्रकृति की मार किसानों पर कहर की तरह टूट पड़ा अब देखना यह है। इसमें सरकार से क्या सहायता मिलता है। इस क्षेत्र के किसानों की निगाह सरकार के ऊपर टिकी हुई है।