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पाटलीपुत्र के धरोहर पत्रकार रामजी मिश्र मनोहर की स्मृति पर विशेष: ज्ञानवर्धन मिश्र की कलम से

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2023/03/30 at 12:40 PM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published March 30, 2023
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– ज्ञानवर्द्धन
मेरे पिता आप होते तो आज 96 साल के हो गये होते। आज आप यानी पंडित रामजी मिश्र ‘मनोहर’ का श्रीरामनवमी के दिन ही जन्म हुआ था। इसलिए आज पूज्य पितृश्री का जन्‍मदिन है। हालांकि मेरे के लिए आपको याद करने के लिए किसी दिन की जरूरत नहीं। आपको गये ढाई दशक हो गये मगर रोज किसी न किसी रूप में आप हाजिर रहते हैं। किसी खुशी, तकलीफ, उपब्धि के क्षण में तो खासकर। हर किसी के पिता उसके लिए महान होते हैं। मेरे लिए भी आप महान हैं। सिर्फ इसलिए नहीं कि मेरे पिता हैं। कितने झंझाबातों से गुजरते हुए जिंदगी को किस तरह मुस्‍कराकर जिये, खुद से ज्‍यादा दूसरों की चिंता की, आज याद करता हूं तो आप मेरे लिए और महान हो जाते हैं। एक आम आदमी की तरह नियमबद्ध तरीके से रोज जल्‍द सुबह जगना, सुबह टहलना, मंदिर, गुरुद्वारे में मत्‍था टेकना नियम था। करीब आधा दर्जन बहनों और इतने ही बच्‍चों की जिम्‍मेदारी और नौकरी के बावजूद आपकी एक अलग दुनिया भी थी। सामाजिक सरोकार को भी उसी गंभीरता से निभाते। कोई जरूरत मंद आता तो दूसरे काम छोड़ उसकी मदद में लग जाते।

इसी भागमभाग के बीच पटना के इतिहास ‘दास्‍ताने पाटलिपुत्र’, ‘बिहार मे हिंदी पत्रकारिता का विकास’ सिख धर्म से जुड़ी पुस्तिकाओं की रचना, कई वर्षों तक नानक वाणी का प्रकाशन, पत्रकारिका संग्रहालय का संचालन। किसी एक आदमी के बस का काम नहीं लगता। किताबें भी लिखीं तो जमीनी स्‍तर पर दो दशक से अधिक के सतत परिश्रम के बाद।

पत्रकारिता संग्रहालय में करीब सवा-डेढ़ सौ साल पुराने पत्र, तीन-चार सौ साल प्राचीन कोई आठ सौ पांडुलिपियां, हजारों की संख्‍या में प्राचीन पत्रिकाएं और किताबें, जिन्‍हें अपने बच्‍चे और बुजुर्गों की तरह संभाल कर रखते। जब कुछ दीमक के हवाले हो जाता तो आपका दर्द देखते बनता था।

पटनासिटी की गलियों में आपके साथ चलते हुए किसी ढहते हुए प्राचीन मंदिर, मस्जिद या दूसरी ऐतिहासिक इमारत को देखते तो इस तरह बोलते मानों उनका घर ढह रहा हो। बड़े नेताओं और अधिकारियों को छोड़ दीजिए क्‍या सफाई कर्मचारी, क्‍या सब्‍जी वाला सब को नाम से व्‍यक्तिगत तौर पर जानते, मिलने पर कुशल क्षेम पूछते। पता नहीं इतने रिश्‍ते कैसे निभाते थे।

पटना स्थित पुस्तकालय में स्वर्गीय मनोहर जी के पुत्र पत्रकार नवीन कुमार मिश्र

‘पाटलिपुत्र की धरोहर : रामजी मिश्र मनोहर’ के पन्‍ने पलटता हूं और आपके बारे में लोगों के संस्‍मरण देखता हूं तो लगता है कि कच्‍चे खपरैल मकान में जिंदगी गुजारने के बावजूद आपकी दुनिया कितनी बड़ी थी। हिंदू, जैन, सिख, मुस्लिम।। सभी धर्मों के प्रति आपकी वैसी ही आस्‍था, सब पर आपकी कलम चलती। सब के कार्यक्रमों में शरीक होते।

आज के दौर में जब सामाजिक सुधार के बावजूद छूत-अछूत को लेकर जो राजनीतिक गतिविधियां चलती रहती हैं जोधराज वाल्‍मीकि का संस्‍मरण याद आ रहा है। 1957 का वाकया है। बाल्‍मीकि जी लिखते हैं महाअछूत जाति, सफाई मजदूर वर्ग से मैं आता हूं। …. मुझ जैसे घोर पददलित, हर दृष्टिकोण से तिरस्‍कृत एवं उपेक्षित को कुलश्रेष्‍ठ …. रामजी मिश्र मनोहर ने गले लगाया।

अपने पटनसिटी स्थित बाबा आदम के जमाने की बनी आश्रमनुमा कुटी में मुझे अपने साथ लगी कुर्सी पर बैठाया, अपने लिए सुबह के अल्‍पाहार में से आधा भाग काटकर एक अलग पात्र में खाने को लिया और कलई किये हुए पीतल के ग्‍लास में पानी ओर अपने ही जैसे प्‍याले में चाय पीने को दी। इन्‍होंने मुझे जो सम्‍मान दिया उससे आजीवन उऋण नहीं हो सकता। इन्‍हीं की प्रेरणा से 1959 में शहर में व्‍याप्‍त भयंकर छुआछूत के निवारण के लिए आंदोलन चलाया। 1962 में भंगियों को मुक्ति दिलाने के लिए राज्‍यस्‍तरीय स्‍वीपर्स सम्‍मेलन का आयोजन किया।

एक उम्र के बाद भी कभी रिटायर या विश्राम की मुद्रा में नहीं देखा। अंतिम दिनों में भी स्‍थानीय हिंदी, अंग्रेजी अखबारों में कॉलम लिखते रहे। जब कभी तकलीफ में होता हूं तो आपके जीवन दर्शन से प्रेरणा मिलती है। अवकाश ग्रहण का उम्र पार किये मुझे भी कई साल गुजर गये मगर आपकी आभा मुझे थकने नहीं देती। जन्‍म दिन के मौके पर पिता को प्रणाम करने के लिए किसी शब्‍द की जरूरत नहीं।

(संस्मरण वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानवर्धन मिश्र ने लिखा है। पांच दशकों से पत्रकारिता करने वाले मिश्र पटना, धनबाद और रांची में बड़े संस्थानों से जुड़े रहे हैं। फिलहाल धनबाद के एक दैनिक अखबार में संपादक के पद पर कार्यरत हैं।)

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: JOURNALIST BIHAR, RAMJI MISHRA MANOHAR
GOVINDA MISHRA March 30, 2023 March 30, 2023
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