
डिजिटल टीम, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। कभी छुक छुक चलते हुए शाहाबाद के छोटी रेलवे लाइन की चर्चा पूरे यूरोप में थी। इसकी चर्चा आज भी लोग बातचीत के दौरान करते हैं। आप कल्पना कीजिये कि ओ भी क्या दिन होंगे जब यातायात के संसाधनो का घोर अभाव के बीच शाहाबाद के हसीन वादियों में छुक छुक कर चलते हुए रेल की लोग यात्रा करते होंगे। वह आरा से लेकर सासाराम के बीच हरे भरे खेतों से गुजरते हुए करीब 100 किलोमीटर मार्टिन लाइट रेलवे की यात्रा हो, या फिर डेहरी से पीपरडीह तक सोन नदी और कैमूर पहाड़ी के बीच मोहक वादियों से होकर गुजरते 67 किलोमीटर दूरी तय करने के लिए लाइट रेलवे की यात्रा।
तत्कालीन शाहाबाद जिले को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने दो रेलवे लाइन का निर्माण किया था जो आज के पीढ़ी के लिए इतिहास की रोचक जानकारी बनकर रह गया है। पहला रेलवे लाइन डेहरी ऑन सोन से कैमूर पहाड़ी के खूबसूरत नजारों का दीदार कराते नौहट्टा प्रखंड के पीपरडीह तिउरा तक 67 किलोमीटर का था। 10 नवम्बर 1908 को तत्कालीन बंगाल सरकार ने इस डेहरी रोहतास लाइट रेलवे का निर्माण की मंजूरी दी थी। इस नैरो गेज लाइन पर 1911 में परिचालन आरंभ हो गया था। लाइट रेलवे का 77 वर्षों तक परिचालन के बाद अंतिम ट्रेन 16 जुलाई 1984 को चला था।