
डिजिटल टीम, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। सासाराम में हुए सांप्रदायिक उपद्रव की घटना के बाद बीजेपी के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की गिरफ्तारी की चर्चा पूरे जिले में हो रही है। जेल जाना और राजनीति में आगे बढ़ना नियति भी हो सकती है। 1990 के साल सासाराम में तनाव था। जवाहर उस दौर में जेल भेजे गए और बीजेपी आलाकमान ने टिकट दिया। राजनीति में अपनी पहला रास्ता बनाने में जवाहर प्रसाद कामयाब हुए। सासाराम विधानसभा का 5 बार प्रतिनिधित्व किया। दबी जुबान में आम लोग कह रहे हैं कि जवाहर के विधायकी का रास्ता नीतीश कुमार की बिहार पुलिस ने साफ कर दिया। आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे जवाहर जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। गिरफ्तारी के तुरंत बाद बीजेपी के दिग्गज नेताओं की फौज एसपी से मिल कर इसका विरोध करने पहुंच गई। राजेंद्र सिंह सहित अन्य नेता साफ कह रहे हैं कि राजनीतिक षणयंत्र के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि पूर्व विधायक ने सांप्रदायिक तनाव की स्थिति में सासाराम को शांत रखने का प्रयास किया।
सासाराम में पहली बार विधायकी का चुनाव जीतने में कामयाब हुए जवाहर प्रसाद जेल में ही थे। राजनीतिक तौर पर उसका फायदा गिनाया जा रहा है। इससे पहले भी डेहरी में निर्दलीय विधायक के तौर पर साल 2005 में चुनाव जीतने वाले प्रदीप कुमार जोशी भी जेल पहुंचे और अपनी हिन्दूवादी राजनीति में कामयाब हुए थे। 18 वर्ष पूर्व यह घटना दोहराई गई. 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान भागलपुर जेल में जोशी को भेजा गया. जिसके बाद मैदान में खड़ी उनकी पत्नी ज्योति रश्मि सहानूभूति वोटों के कारण चुनाव जीतने में कामयाब रही.