
डेहरी आन सोन (रोहतास ) पिंक आई एक वायरस फैलने वाली बीमारी है और इसे चिकसकीय भाषा में एपेडेमिक केराटोकोनजंक्टिविटीज (keratoconjunctivitis) कहते हैं। जिले में बढ़ रही इस बीमारी पर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अभिताभ के अनुसार आँखों का लाल होना, गड़ना, पानी व कीच्ची आना, खुजली होना एवं पलकों में सूजन होना इसके लक्षण हैं। कभी कभी ज़्यादा गंभीर रूप भी ले लेता है तब इसमें कॉर्निया में भी संक्रमण हो जाता है एवं दृष्टि बाधित हो सकती है । उन्होमे बताया कि यह बहुत जल्दी संक्रमण फैलाता है और एक आदमी अपने पूरे परिवार एवं अपने नज़दीक लोगों को संक्रमित कर देता है । उन्होंने कहा कि बचाव के लिए कोई दवा नहीं है। बस एहतियात बरतना ही इससे बचाव है । अपने आँखों को छूने से बचना है और अगर ज़रूरत हो तो हाथ को धो कर ऐसा करें । अगर आपके घर में या आपके आसपास कोई संक्रमित है तो ध्यान रखें की वो अनावश्यक चीज़ों को ना छूऐ। एवं उनके रोज़ाना इस्तेमाल करने के लिये तौलिया तकिया चादर जैसे चीज़ों को अलग कर दें। परिवार के अन्य सदस्य अपने हाथों को बार बार धोते रहें और अपने आँखों को ना छूयें। उन्होंने बताया कि संक्रमण होने पर आँखों में एंटीबायोटिक ड्राप्स। कृत्रिम अश्र के ड्राप्स उन्हें हम आर्टिफीसियल टीयर ड्राप्स को इस्तेमाल करना चाहिए । उन्होंने बतया की अभी बाज़ार से ख़रीदकर नब्बे प्रतिशत लोगस्टेरॉइड्स( steroid )युक्त ड्राप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जो की हानिकारक भी साबित हो सकता है।स्टेरॉइड्स(steroids) ड्राप्स जैसे की डेक्सअमेथासोन (dexamethasone )नहीं डालना चाहिए क्योंकि ये नुक़सान भी कर सकता है। अगर इसकी ज़रूरत है तो वो अपने नेत्र के चिकित्सक से सलाह ले ।