
तत्कालीन एसपी विकास बैभव की पहल के बाद 26 जनवरी
^2009 से पुलिस प्रशासन कर रहा झंडोतोलन
डेहरी आन सोन (रोहतास )
कैमूर पहाड़ी स्थित स्वतंत्रता आंदोलन के मुक गवाह ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला पर आन-बान-शान से 13 वर्ष पूर्व तिरंगा लहराया था ।इसके पूर्व यहां नक्सली काला झंडा फहराते थे ।पूर्व एसपी विकास बैभव की पहल के बाद 26 जनवरी 2009 गणतंत्र दिवस पर जिला पुलिस द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पर्व पर झंडोतोलन किया जाता है ।
आजादी के अमृत महोत्सव पर किला पर 60 फिट लम्बा तिरंगा का ध्वजा रोहण किया गया ।
2008 अगस्त में एसपी के पद पर विकास बैभव का पदस्थापन हुआ ।उन्होंने कैमूर पहाड़ी को नक्सलियो से मुक्त कराने को कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत सोन महोत्सव का शुभारंभ किया ।उन्होंने 15 अगस्त 2008 को यहां पुलिस लाइन में प्रशासनिक स्तर पर रोहतास किला पर ध्वजारोहण कराने की घोषणा की । 26 जनवरी 2009 को एसडीपीओ मिथलेश कुमार के नेतृत्व में पहली बार पुलिस प्रशासन की ओर से किला पर झंडोतोलन किया ।
विकास बैभव ने यहां राष्ट्रीय ध्वज फहरा जनमानस में यह संदेश दिया था कि कैमूर पहाड़ी व रोहतास किला पर से नक्सलियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।उससे पहले रोहतासगढ़ किला पर नक्सलियों द्वारा राष्ट्र विरोधी ध्वज लहराया जाता था ।रोहतास पुलिस ने इस किले पर 64 वर्षों बाद इतिहास रचा था। जिसके बाद से अब रोहतासगढ़ किला पर शान से पुलिस प्रशासन द्वारा आम लोगों की उपस्थिति में तिरंगा फहराया जाता है।
रोहतास के तत्कालीन एसपी विकास वैभव के नेतृत्व में डेहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मिथिलेश कुमार और सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने यहां राष्ट्रीय ध्वज फहरा जनमानस में यह संदेश दिया था कि कैमूर पहाड़ी व रोहतास किला पर से नक्सलियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उससे पहले रोहतासगढ़ किला पर नक्सलियों द्वारा राष्ट्र विरोधी ध्वज लहराया जाता था। रोहतास पुलिस ने इस किले पर 61 वर्षों बाद इतिहास रचा था। जिसके बाद से अब रोहतासगढ़ किला पर शान से पुलिस प्रशासन द्वारा आम लोगों की उपस्थिति में तिरंगा फहराया जाता है. 15 अगस्त 2008 को कैमूर विकास मोर्चा के अध्यक्ष सुग्रीव खरवार ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश की थी ।
स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई वर्ष 1857 के आंदोलन में वीर कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह का ठिकाना भी यह किला बना। अमर सिंह ने यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था। उनकी सेना को हटाने के लिए अंग्रेजी फौज को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
ब्रिटिश फौज ने भी इस किले पर कब्जा किया और वहां ब्रिटिश हुकूमत का झंडा भी फहराया। बाद में दस्यु गिरोह व 80 के दशक में नक्सली आंदोलन के दौरान यह किला उनका गढ़ बन गया।जिसके बाद किसी ने वहां तक पहुंचकर तिरंगा फहराने की हिम्मत नही जुटाई ।
तत्कालीन एसपी व विकास वैभव के नेतृत्व में कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान के बाद 2009 में गणतंत्र दिवस पर पहली बार किला पर तिरंगा फहराया गया। उस वक्त तत्कालीन एसपी ने पुलिस को हमेशा से अपना दुश्मन समझने वाले नक्सलियों को भी न्योता पर्चा के माध्यम से दिया था ।पर्चा में नक्सलियों को जिले के मुख्य समारोह व रोहतासगढ़ किला पर झंडोत्तोलन में शामिल हो मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की गई थी। आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष पर 15 अगस्त को रोहतास के थानाध्यक्ष ने किला परिसर में 60 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया ।