केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मणिपुर में एक दुखद तिहरे हत्याकांड के मामले की भी जांच करेगी, जहां जून में जातीय हिंसा के दौरान भीड़ ने सात वर्षीय लड़के, उसकी मां और चाची को जिंदा जला दिया था।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मणिपुर में एक दुखद तिहरे हत्याकांड के मामले की भी जांच करेगी, जहां जून में जातीय हिंसा के दौरान भीड़ ने सात वर्षीय लड़के, उसकी मां और चाची को जिंदा जला दिया था।
टोंसिंग हैंगसिंग नाम के लड़के का वंश कुकी-मीतेई से मिला हुआ था, उसकी मां मैतेई थी और उसके पिता कुकी थे।
शुरुआत में इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थी, लेकिन अब इसे अन्य 20 मामलों के साथ सीबीआई को सौंप दिया गया है।
जून में लड़के को सिर में गोली थी। जब उसकी मां मीना हैंगसिंग और उसकी चाची लिडिया लौरेम्बम उसे एम्बुलेंस में राज्य की राजधानी के एक अस्पताल में ले जा रही थीं, तो रास्ते में हिंसक भीड़ ने एम्बुलेंस पर हमला कर दिया और आग लगा दी।
टोंसिंग का परिवार एक राहत शिविर में रह रहा था। सूत्र बताते हैं कि हथियारों से लैस “बहुसंख्यक समुदाय” के लोगों ने शिविर को भी निशाना बनाया। जब गोलीबारी की गई तो एक गोली लोहे के खंभे से टकराकर बच्चे के सिर में लग गई थी। सेना ने बच्चे, उसकी मां और चाची को पुलिस एस्कॉर्ट और एंबुलेंस मुहैया कराया, एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने तुरंत लड़के के अस्पताल स्थानांतरण के लिए सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने के लिए इंफाल के पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया। मगर लगभग 2,000 लोगों की भीड़ ने काफिले को रोक लिया और एम्बुलेंस में आग लगा दी।
इस मामले के संबंध में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं। एक मामला पुलिस ने लाम्फेल थाने में दर्ज कराया था, जबकि दूसरा मामला लड़के के पिता जोशुआ हैंगसिंग ने कांगपोकपी थाने में दर्ज कराया था। लाम्फेल पुलिस ने हत्या से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जबकि कांगपोकपी पुलिस स्टेशन ने इसे गैर इरादतन हत्या के प्रयास के आरोप के तहत दर्ज किया।
तीन मई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे के लिए मैतेई समुदाय के अनुरोध का विरोध करने के लिए पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी। झड़पों में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए। हजारों घर जला दिए गए।