मुट्ठी भर आप्रवासियों के 1904 में वैंकूवर शहर में उतरने से शुरुआत करके भारतीय आज कनाडा के सबसे बड़े और सबसे अच्छी तरह से एकीकृत प्रवासी समुदायों में से एक हैं, जिनकी संख्या लगभग 18.5 लाख या देश की आबादी का 5.1 प्रतिशत है।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। मुट्ठी भर आप्रवासियों के 1904 में वैंकूवर शहर में उतरने से शुरुआत करके भारतीय आज कनाडा के सबसे बड़े और सबसे अच्छी तरह से एकीकृत प्रवासी समुदायों में से एक हैं, जिनकी संख्या लगभग 18.5 लाख या देश की आबादी का 5.1 प्रतिशत है। उत्तरी अमेरिकी राष्ट्र ने जब ज्यादा बहुसांस्कृतिक समाज के निर्माण के लिए 1960 के दशक में अपनी भेदभावपूर्ण आव्रजन नीतियों को बंद कर दिया तो भारतीयों ने बेहतर आर्थिक संभावनाओं की तलाश में कनाडा जाना शुरू कर दिया। इनमें अकेले पंजाब से एक बड़ी संख्या थी। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (एनएफएपी) के विश्लेषण के अनुसार, पिछले 10 साल में कनाडा में आप्रवासन करने वाले भारतीयों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है। यह वर्ष 2013 में 32,828 से बढ़कर 2022 में 260 प्रतिशत बढ़कर 1,18,095 हो गई है।
फोर्ब्स की 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है, “ऐसी वृद्धि की अपेक्षा शरणार्थी स्थिति में की जाती है, न कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों और रोजगार-आधारित आप्रवासियों के बढ़ने के कारण।” शुरुआती भारतीय निवासी, जो ज्यादातर ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में केंद्रित थे, रेलवे और कृषि उद्योगों में मजदूरों के रूप में काम करते थे, और प्रति दिन एक से सवा डॉलर तक कमाते थे। उनमें से 20-50 लोग एक ही छत के नीचे बंकहाउस कहे जाने वाले आवास में रहते थे।
स्थानीय सामाजिक में अपना दर्जा बढ़ाते हुये भारतीय आज कनाडाई व्यवसाय, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक, आतिथ्य, स्वास्थ्य सेवा और अन्य परिदृश्यों में शीर्ष स्थान पर हैं।
स्टैटिस्टिक्स कनाडा के 2022 के अध्ययन से पता चलता है कि स्थायी निवासी बनने वाले आप्रवासियों द्वारा अर्जित औसत वेतन 2019 में 31,900 कनाडाई डॉलर थी जो 1981 के बाद से आप्रवासियों के सभी समूहों के बीच दर्ज की गई सबसे अधिक राशि है।
पिछले 10 वर्षों में भारतीय छात्रों की एक महत्वपूर्ण आमद और उच्च-कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए 2015 में एक्सप्रेस एंट्री कार्यक्रम की शुरुआत के साथ भारतीय समुदाय के स्वरूप में तेजी से बदलाव आया है।
इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 2,26,450 भारतीय छात्र कनाडा में अध्ययन के लिए आये जो किसी अन्य देश की तुलना में अधिक था।
विल्सन सेंटर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 2019 तक कनाडा में 34 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्र भारत से आए, जो कनाडाई शैक्षणिक संस्थानों को राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है और 2022 तक यह हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है।
अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा, “यह संख्या सीधे श्रम बल में तब्दील हो जाती है। पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट होल्डरों में 2018 में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा रही। चीन के लिए यह 20 प्रतिशत और अमेरिका के लिए मात्र एक प्रतिशत थी।”
कैनेडियन ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन के अनुसार, भारतीय छात्रों ने 2021 में कनाडाई अर्थव्यवस्था में 4.9 अरब डॉलर का योगदान दिया।
उत्तरी अमेरिका की प्रौद्योगिकी परिषदों की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 और मार्च 2023 के बीच 15 हजार से अधिक भारतीय तकनीकी श्रमिक कनाडा आये जो किसी एक देश से सबसे बड़ी संख्या थी।
कनाडा में एसटीईएम, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और लेखा क्षेत्रों में भारतीय प्रतिभाओं की मांग तेजी से बढ़ी है, क्योंकि देश ने न केवल अपनी आव्रजन नीतियों में ढील दी है, बल्कि अमेरिका से एच1-बी वीजा धारकों को खुले कार्य परमिट भी दिए हैं।
अमेरिका में एच1-बी वीजा धारकों में लगभग 75 प्रतिशत भारतीय हैं, जो इस योजना के प्रमुख लाभार्थी हैं।
भारत पिछले 10 वर्षों में कनाडा में आप्रवासन का प्रमुख स्रोत बन गया है। पिछले साल 1,18,000 से अधिक भारतीयों को “स्थायी निवासी” या पीआर का दर्जा दिया गया था, जो जारी किए गए कुल पीआर का 27 प्रतिशत था।
हालाँकि इनमें से अधिकांश भारतीय देश के कोने-कोने में देखे जाते हैं, लेकिन एक बड़ी आबादी अभी भी ओन्टारियो और ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतों में केंद्रित है।
कनाडाई प्रांतों में ओंटारियो भारतीयों के बीच सबसे लोकप्रिय है। समुदाय के 55 प्रतिशत से अधिक लोग इस क्षेत्र के टोरंटो, ओटावा, वाटरलू और ब्रैम्पटन जैसे शहरों में बसे हुये हैं।
टोरंटो, कनाडा का सबसे बड़ा शहर और ओंटारियो की राजधानी है। यहां लगभग छह लाख भारतीय-कनाडाइयों के घर हैं।
ओंटारियो के बाद लगभग 22 प्रतिशत भारतीय ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर, सरे, केलोना, विक्टोरिया आदि शहरों में फैले हुए हैं। उनमें 10 प्रतिशत अल्बर्टा में पाए जाते हैं। इसके बाद मैनिटोबा, क्यूबेक, सस्केचेवान और नोवा स्कोटिया में रहते हैं।
वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा की जनसंख्या में मुस्लिम, हिंदू और सिखों का अनुपात 20 साल में दोगुने से अधिक हो गया है।
इस दौरान मुसलमानों की आबादी दो प्रतिशत से बढ़कर 4.9 प्रतिशत, हिंदुओं की एक प्रतिशत से बढ़कर 2.3 प्रतिशत और सिखों की 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई है।
हिंदू धर्म कनाडा में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, और 2021 तक हिंदू धर्म के 8,28,000 से अधिक कनाडाई थे। कनाडा की सिख आबादी 7,71,790 लोगों के साथ भारत के बाहर दुनिया में सबसे बड़ी है।