
तिलौथू संवाददाता।
नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र की कैमूर पहाड़ी पर स्थित गांवों सहित मैदानी क्षेत्रों की अनुसूचित जनजाति के टोले पर मानर की थाप गूंजने लगे हैं। बड़ी उत्सुकता के साथ कर्मा त्योहार मानने की प्रतीक्षा वनवासी करते हैं। सोमवार की सुबह से ही महिलाएं जंगल में जाकर मानर की थाप पर नृत्य करते हुए करम, भेला व छितार के पौधे को निमंत्रण दी। शाम में तीनों पौधो को अखाड़ा पर पूजा शुरू की। रात भर मानर की थाप पर लोक पारंपरिक गीत गाकर कर्मा वृक्ष का पूजन किया। कर्मा एकादशी का त्योहार का विशेष पूजन भादो शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। दूसरे दिन द्वादशी तिथि को विसर्जन के बाद सम्पन्न होता है।
इस त्योहार के अवसर पर मानर की थाप पर मनमोहक नृत्य संगीत का आनंद लेने के लिए बड़ी तादात में दूर दराज से लोग पहाड़ी गांवों में पहुंचते हैं। पुरुष और महिला समूह हार जीत का भाव लेकर गायन और नृत्य पेश कर रही हैं। बता दें कि पहाड़ी गांव के लिए यह प्रसिद्ध त्योहार है। त्योहार मानने के लिए पहाड़ी पर स्थित गांवों की 18 अखाड़े में कार्यक्रम की तैयारी की गई है। आदिवासी पुरोहित महतो पूजा कराएंगे। अखाड़ा पर महतो द्वारा तीनों पौधो को पूजा के बाद राजा कर्मा व धर्मा की कथा सुनने की और साथ साथ झुर का भी पूजा करने की परंपरा है। पूर्व मुखिया श्याम नारायण उरांव बताते हैं किपहाड़ पर स्थित पीपरडीह, सोली, मदेया, रेहल, कोरहास, हरैयाडीह, सलमा, जमुंदहा, चुन्हट्टा, मैदानी क्षेत्रों में यदुनाथपुर, नौहट्टा, दारानगर, कमाल खैरवा, डुमरिया, बौलिया, आदि गांवो में अखाड़ा पर पूजा अर्चना की गई।