सीबीआई के विशेष न्यायाधिश पीके शर्मा की अदालत ने गुरूवार को तारा शाहदेव प्रकरण से जुड़े नौ वर्ष पुराने मामले में तीनों दोषियों को विडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनायी। अभियुक्तों में रकीबुल हसन को अंतिम सांस तक उम्र कौद, उसकी मां कौशल को 10 वर्ष की और झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद को 15 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने हसन पर 1.5 लाख और अन्य दोनो अभियुक्तों पर 50-50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। मामले में वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह और रवि कुमार ने सजा के दौरान पक्ष रखा। इससे पूर्व 30 सितंबर को अदालत ने तीनों आरोपियों को आईपीसी की धारा 120 बी, 496, 376 एन, 323, 298, 506 में दोषी पाया था। इसके पहले रकीबुल साढे पांच साल, मुस्ताक ढाई साल और कौशल रानी तीन महीने की सजा काट चुकी है। कौशल रानी और मुस्ताक के पूर्व में काटी गई सजा को अभी वाली सजा में घटा दी जाएगी।
धर्म परिवर्तन और यौन उत्पीड़न से जुड़ा है मामला
नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने हिंदपीढ़ी थाने में रकीबुल हसन और उसकी मां कौशल रानी के खिलाफ 19 अगस्त 2014 में मामला दर्ज कराया था। इसमें धर्म परिवर्तन यौन उत्पीड़न और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया गया था। बाद में तारा शाहदेव पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं हुई तो इसके बाद मामले को सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। सीबीआई ने 22 मई 2015 को केस दर्ज किया। सीबीआई ने मामले में रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी और झारखंड के पूर्व रजिस्ट्रार मुश्ताक अहमद के खिलाफ 12 मई 2015 को चार्जशीट दाखिल किया।