बिहार में स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार जारी जातीय गणना के आकड़ों का प्रकाशन कोलकाता के सरस्वती प्रेस से कराया गया। बतते चलें की यह वही प्रेस है, जहां से भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर पूरी गोपनियता से चुनाव में प्रयोग होने वाले बैलेट पेपर का प्रकाशन किया जाता है।जातिय गणना कि रिपोर्ट प्रकाशन के लिए बिहार सरकार ने इसी प्रेस के साथ करार पत्र पर हस्ताक्षर किया था। जिसमें पूरी गोपनियता बरते जाने की बात तय की गई थी। अधिकारिक सुत्रों की माने तो जातीय गणना के लिए 2 करोड़ 83 लाख परिवारों से संपर्क किया गया है। वहीं इन परिवारों से जुड़ी जानकारियों को साढ़े छह करोड़ से ज्यादा फारमेट में एकत्र कर उसे साफ्टवेयर पर अपलोड किया गया है। अधिकारिक सुत्रों के अनुसार राज्य भर में एकत्र किए गए जातीय गणना के आकड़ों को विशेष सुरक्षा में कोलकाता भेजा गया था। प्रिंटिंग के दौरान प्रेस में बिहार पुलिस मुस्तैदी से तैनात रहे। बिहार पुलिस के अधिकारी और जवान इसके लिए विशेष सुरक्षा में लगए गए थे।
उप सचिव स्तर के अधिकारियों ने किया प्रुफ रिडिंग
जातीय गणना के रिपोर्ट प्रकाशन के बाद प्रुफ रिडिंग के लिए उप सचिव स्तर के पदाधिकारियों को कोलकाता भेजा गया। उन्होने वहां रिपोर्ट के अधिकारिक आकड़ो के मास्टर कॉपी की प्रुफ रिडिंग की। इसके बाद उसे अंतिम रूप से प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया। रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद पूरी सुरक्ष के साथ उसे बिहार लाया गया।