हाईकोर्ट ने जहरीली शराब बेचने के 13 आरोपियों की उम्रकैद निरस्त की ,जांच के रवैये पर हैरानी भी जताई
2012 में आरा के नवादा थाना अंतर्गत अनाईठ महादलित बस्ती में जहरीली शराब पीने से हुई 21 दलितों की मौत के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले 14 लोगों को पटना हाईकोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। इन 14 सजायाफ्ता में एक को छोड़कर शेष 13 लोगों को आरा स्थित अपर जिला व सत्र न्यायाधीश की आदालत ने 24 जुलाई 2018 को जहरीली शराब बेचने और उक्त 21 लोगों की गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 28 जुलाई 2018 को आजीवन कारावास व 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया था। एक आरोपी भास्कर सिन्हा पर दो वर्ष कैद और 2000 रुपए का जुर्माना लगा था।
बगैर किसी ठोस सबूत के सजा दी: हाईकोर्ट
न्यायामूर्ती आशुतोष कुमार और न्यायामूर्ती विपुल पंचोली की खंडपीठ ने कुल 14 अपिलियर्थियो की अपील पर फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने पूरे मामले में पुलिस की जांच के रवैये पर हैरानी जताते हुए कहा कि बगैर ठोस सबूत के, सिर्फ मृतको के परिजनों के आरोपों को सही मानते हुए जहरीली शराब बेचने व सप्लाई के आरोप में गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया। 7 दिसंबर 2012 की रात अनाईठ महादलित बस्ती सहित शहर के अन्य इलाकों में रात 30-35 लोगों ने शराब पी थी। उसके बाद लोगों के मरने का सिलसिला शुरु हो गया था। तीन दिनों तक मौत का सिलसिला चलता रहा। इस दौरान एक -एककर 21 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से अधिकतर संख्या अनाईठ महादलित बस्ती के लोगों की थी।