
डिजिटल टीम,पटना। बिहार के प्राइवेट स्कूलों के साथ ही सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल शिक्षकों की सैलरी का किसी भी तरह का मानक तय नहीं है। प्राइवेट टीचर्स की स्थिति बदतर होने के बावजूद वो इस पर किसी भी तरह की आवाज नहीं उठा सकते। कई बार इस तरह की बात सामने आती है। कथित तौर पर शोषण की बात कहने वाले ये शिक्षक खुल कर सामने नहीं आते। गया के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त एक स्कूल में 20 वर्षों से काम करने वाले राजीव (बदला हुआ नाम) का कहना है कि शिकायत करने पर नौकरी जाने का डर बना रहता है। लगातार ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी का आरोप इस तरह के स्कूलों पर लगता है। इसके अलावा स्कूली किताबों की खरीद और ड्रेस में कमीशनखोरी के आरोपों के बावजूद किसी भी तरह की कार्रवाई राज्य सरकार, संबंधित विभाग या सीबीएसई नहीं करती।
अभिभावक संघ लगातार आरोप लगाता है कि मनाही के बावजूद स्कूल प्रबंधन कमीशन के आधार पर विशेष प्रकाशक से किताबों की खरीद का दबाव बनाता है। बिहार के सभी जिलों में बड़ी संख्या में राज्य सरकार से निबंधित प्राइवेट स्कूल के अलावा सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल हैं। लेकिन वेतन की स्थिति किसी भी बेहतर न होने की बात सामने आती है। मानक वेतनमान केवल प्रतिष्ठित विद्यालय समूह में देखने को मिलता है। जबकि शिक्षकों का आरोप है कि हर साल स्कूल की ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी होती है लेकिन वेतनमान के नाम पर न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जाती।
सैलरी को लेकर नहीं तय है कोई मानक
सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों को साफ तौर पर निर्देशित किया गया है कि शिक्षकों को कम सैलरी, सुविधाएं न देने और गैर शैक्षणिक कार्य में लिप्त करने पर कार्रवाई हो सकती है। सीबीएसई का मानना है कि इस तरह की परिस्थिति में शिक्षक बेहतर ढंग से शैक्षणिक कार्य का संपादन नहीं कर सकते हैं। सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि इस तरह की शिकायतों पर कार्रवाई होती है।
शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में एफिलिएशन बाइलॉज और आरटीई एक्ट के साथ ही मॉडल आरटीई रुल्स 2010 में इस संबंध में साफ तौर पर निर्देशित किया गया है। संबंधित राज्य सरकार के बराबर का वेतनमान सीबीएसई से संबंद्धता प्राप्त स्कूलों को देना है। लेकिन नियमों को ताक पर रखकर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है। तय मानक के अनुसार शिक्षकों को नियुक्त करना है। इसके साथ ही संबंधित विज्ञापन का प्रकाशन करने के साथ ही नियुक्ति संबंधित प्रक्रिया का पालन करना है।
(Appointment of teachers, and their service conditions among others have to be done as per the provisions of the Right to Education Act 2009, respective state Acts, and CBSE Affiliation Bye-Laws)
किंडर गार्डेन में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका रजनी (बदला हुआ नाम) का कहना है कि प्राइवेट स्कूल में वेतन के नाम पर पांच हजार रुपय से लेकर 7 हजार रुपय तक दिया जाता है। उनका कहना है कि इस संबंध में किसी भी तरह का मानक प्राइवेट स्कूल ने नहीं तय किया है। इस शिक्षिका का आरोप है कि साल में वेतन बढ़ोतरी की जगह स्कूल मैनेजमेंट मानसिक तौर पर शिक्षकों को परेशान करता है। इसके अलावा दबाव देकर नौकरी छोड़ने को मजबूर किया जाता है। इस तरह की परिस्थिति अन्य कर्मियों के साथ भी रहती है। शिक्षिका का कहना है कि स्कूल प्रबंधन को सीधे बैंक खाते में तय नियमों के अनुसार वेतन देना चाहिए। जिससे वेतन संबंधित मामले में पारदर्शिता देखने को मिले। साथ ही यह भी सामने आ सके कि ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी के साथ ही उनके सैलरी में भी इजाफा हो।