
मानसिक रोग पूरी तरह ठीक किया जा सकता है: डॉ सोलांकी
डेहरी ऑन सोन।
मानसिक रोग भारत सहित पश्चिमी देशों में भी बड़े पैमाने पर बढ़ा है। पूरी दुनिया में भारी संख्या में मानसिक रोग और अवसाद के मरीज मिल रहे हैं। स्थानीय पाली रोड स्थित मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अवधेश पी सोलंकी ने यह बातें विशेष बातचीत के दौरान कही। उन्होने कहा कि कोरोना के कारण परिस्थितियां गंभीर हुई है। भारत में युवाओं में मानसिक रोग बड़े पैमाने पर बढ़ा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जरूरत से ज्यादा समय बिताना, गेम और लॉटरी के एप के कारण स्ट्रेस, एनजाइटी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन का शिकार युवा हो रहे हैं। आज के वैश्विक विश्व का असर भी युवाओं पर हो रहा है। पारिवारिक विवाद, नौकरी की तलाश, जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं और तुरंत सब कुछ पाने की इच्छा विषम मानसिक परिस्थितियां पैदा कर रही है। युवाओं में धैर्य का अभाव देखने को मिल रहा है। आमदनी और ईएमआई के कारण आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। मानसिक तवान के कारण अवसाद बढ़ रहा है। आत्महत्या की घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है। अवसाद के कारण युवा नशे के आदी बन रहे हैं। ड्रग्स लेना शुरू कर दे रहे हैं। मीडिया में इससे संबंधित शिक्षा का अभाव देखने को मिल रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने एक दूसरे से दूरी बढ़ाई है। जिसका असर मानवीय दूरियां बढ़ाई है। मीडिया में मेंटल हेल्थ से संबंधित मामलों पर किसी भी तरह का डिबेट देखने को नहीं मिलता है।
लोग बहुत ज्यादा समय मोबाइल पर व्यतीय कर रहे हैं। इसका असर उनकी दिनचर्या पर पड़ रहा है। रुटीन सही नहीं रहने के कारण हर्ट अटैक की समस्या बढ़ रही है। कम उम्र में लोग बीपी, शुगर का शिकार हो रहे हैं। मानसिक तनाव के शिकार डॉक्टर भी हो रहे हैं।
हिंसा और अश्लील वीडियो का बुरा असर 15 से 17 साल के बीच के उम्र के बीच रहता है। कम उम्र में पोर्न देखने की प्रवृति के कारण यौन हिंसा में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
महिलाओं में सबसे ज्यादा मानसिक बीमारियां सामने आ रही है।इस कारण भारतीय महिलाओं का काम काजी होकर परिवार को संभालना है।
उन्होंने कहा कि मानसिक रोग को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। मानसिक रोग से बचने के लिए अपनी रुटीन को सही करे। भरपुर नींद ले और भोजन सही समय से करे। जागने के एक घंटे के अंदर नाश्ता करे। सोशल मीडिया पर रात में समय नहीं बिताएं। इससे आप स्ट्रेस से बच सकते हैं। मानसिक रोगी से प्रती सहानूभूति की भावना रखें। सम्मान दें। मानसिक रोगी किसी भी तरह की डिमांड नहीं करता है।