
सासाराम (रोहतास) बीजेपी को तीन राज्यों में जनता द्वारा दिया गया समर्थन यह साबित करता है कि अखण्ड भारत में सनातन धर्म से खिलवाड़ करना अपने साथ नाइंसाफी करने जैसा है। विधानसभा के मौजूदा हालात से यह स्पष्ट होता हैं। भारत की संस्कृति सनातनी है जिसे हिन्दू धर्म के साथ साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी अपने मत प्रयोग से साबित कर दिया। क्योंकि अभी आधे भारत में सनातन संस्कृति हावी दिख रहा है अर्थात आधे भारत में बीजेपी की सरकार हैं। स्टालिन जैसे एक चिंगारी ने कांग्रेस के कुनबे को तबाह कर दिया। यह बात दबी जुबान कांग्रेस भी मानती हैं कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने मीडिया के सामने स्पष्ट रूप से यह बयान दिया कि भारत की जनता को सनातन से अलग करके उनके दिल को जीतना मुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव है। लेकिन कांग्रेस की मजबूरी केवल कांग्रेस ही जानती है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मेहनत पर बीजेपी का सनातन दाव बहुत भारी पड़ा। सोचने वाली बात है कि क्या कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में भी स्टालिन जैसे नौसिखिए से दोस्ती बरकरार रखेगी या फिर कोई नई रणनीति पर मंथन होगा। बीते चुनाव में बीजेपी की जीत का दुसरा कारण यह भी माना जा रहा है कि मोदी का महिला सुरक्षा गारंटी कार्ड भी सटिक रहा। महिलाओं ने भी सभी जगह अपना भरपूर समर्थन दिया। एक बात जरूर है कि तेलंगाना में स्थानीय मुद्दे को लोगों का समर्थन मिला और जीत का सेहरा वहां के लोगों ने कांग्रेस के माथे पर बांधा हालांकि तेलंगाना जीत राहुल गांधी के भारत जोड़ो अभियान का प्रतिफल है। इसमें दो राय नहीं कि भारत जोड़ो अभियान कांग्रेस की एक अच्छी पहल थी अगर सनातन का मुद्दा नहीं गरमाया होता तो बीजेपी को शायद इतना बड़ा मैंडेट प्राप्त करने में काफ़ी मशक्कत करना पड़ता। लेकिन अमित शाह की चाणक्य नीति और मोदी की प्रबन्धन व्यवस्था ने मौके की नज़ाकत समझते हुए सनातन के प्रति लोगों को झकझोर दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि बीजेपी ने तीन राज्यों में बाज़ी मारी और कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया। इस चुनाव परिणाम से कांग्रेस को सबक लेने की कोशिश करनी चाहिए। बीजेपी की यह जीत लोकसभा चुनाव के लिए टॉनिक का काम कर सकता हैं। जीत का परिणाम बताता है कि भारत हिन्दू राष्ट्र था, हैं और रहेगा। कांग्रेस को अपने खोए विरासत को पाने के लिए सनातनी होना होगा।
