श्रीनगर/जम्मू, 11 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के सोमवार को अनुच्छेद 370 पर अपना फैसला सुनाने के मद्देनजर अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील हिस्सों खासकर ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेताओं ने दावा किया कि महबूबा को घर में नजरबंद कर दिया गया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित प्रमुख नेताओं के ‘गुपकर रोड’ स्थित आवास पर भी पाबंदियां लगाई गई हैं।
महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें श्रीनगर के बाहरी इलाके में उनके खिंबर आवास पर नजरबंद कर दिया गया है और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने न तो इस घटनाक्रम की पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है। अगस्त 2019 में विवादास्पद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता पर उच्चतम न्यायालय के अपेक्षित फैसले से कुछ घंटे पहले इस तरह की कार्रवाई सामने आई है।
अधिकारियों ने कहा कि उच्च सुरक्षा वाले गुपकर की ओर जाने वाली सड़क पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। कश्मीर में कड़ी सुरक्षा के विपरीत शीतकालीन राजधानी जम्मू में सुरक्षा स्थिति और पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती लगभग सामान्य रही।
कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा सभी सुरक्षा बलों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को जारी एक परामर्श में कहा गया है कि ‘‘अशांत क्षेत्रों’’ में वीआईपी और सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों की सुरक्षा में शामिल अथवा उन्हें ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही से भी बचा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए समूचे जम्मू-कश्मीर में कड़ी निगरानी की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर शहर और उसके आसपास जांच चौकियां स्थापित की गई हैं और वाहनों तथा लोगों की तलाशी ली जा रही है। कश्मीर के अन्य जिलों में भी कुछ स्थानों पर जांच चौकियां स्थापित की गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि घाटी में कहीं भी लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘‘जनजीवन सामान्य है। दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान सामान्य दिनों की तरह सुबह खुले। कहीं भी कोई प्रतिबंध नहीं है।’’ अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर कड़ी नजर रख रही हैं और शांति भंग करने की कोशिश से सख्ती से निपटा जाएगा।
साइबर पुलिस, कश्मीर ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को सलाह दी है कि वे सोशल मीडिया मंचों का जिम्मेदारी से उपयोग करें और अफवाहें, फर्जी खबर, नफरत भरे भाषण या आपत्तिजनक, हिंसक और अपमानजनक सामग्री साझा करने से बचें। साइबर पुलिस ने एक परामर्श में कहा, ‘‘सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को आगाह किया जाता है कि वे आतंकवादी और अलगाववादी विचारधारा एवं फर्जी बातों के प्रचार-प्रसार में शामिल होने से बचें।’’
परामर्श में कहा गया है कि वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना अन्य उपयोगकर्ताओं से प्राप्त किसी भी आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार से बचा जा सकता है और ऐसी किसी भी जानकारी को देखने या जानकारी मिलने पर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को इसे दूसरों के साथ साझा करने के बजाय तुरंत इसके बारे में साइबर पुलिस को सूचित करना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि एहतियात के तौर पर सोमवार को किसी भी काफिले की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाने वाला है। केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।