गोविंदा मिश्रा
बिहार के औरंगाबाद जिले में कांग्रेस के तेजतर्रार नेता राहुल गांधी आज एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। पूरा ताम झाम औऱ लोगों की भीड़ देखने को मिली। लेकिन संख्या इतनी ज्यादा थी कि कार्यक्रम समाप्त होने से पहले ही वो भीड़ बाहर निकलने लगी। औरंगाबाद शहर के गांधी मैदान में दस हजार लोगों के जुटान का अनुमान था। राहुल गांधी करीब 6 घंटे की देरी से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उनके पहले बिहार के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस जनसभा को संबोधित किया। पूरे परिसर में कांग्रेस सेवा दल के कार्यकर्ता सबसे ज्यादा एक्टिव दिखे। औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है। राजपुतों के दिग्गज नेता कांग्रेस का झंडा आजादी के पहले से उठा रहे हैं। मगध की धरती पर आयोजित इस कार्यक्रम में निखिल कुमार, अवधेश सिंह और स्थानीय विधायक आनंद शंकर अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभा रहे थे। लेकिन मैदान पूरी तरह भरा नहीं जा सका।
एक स्थानीय पत्रकार का कहना था कि इस मैदान की क्षमता करीब 50 हजार लोगों की है। लेकिन अनुमान था कि मुश्किल से दस हजार लोगों की भीड़ इस सभा में मौजूद थी। युवराज राहुल गांधी की इस सभा में भाषण शुरू ही हुआ था कि लंबे समय से इंतजार कर रहे लोगों का बाहर निकलना शुरू हो गया। कांग्रेस का झंडा लगाए पास से गुजर रही लग्जरी गाड़ी में बैठे लोगों से मैंने पूछ लिया कि अभी क्यों निकल गए। कम से कम राहुल गांधी का पूरा भाषण सुन कर निकलते। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
कोई भी राजनीतिक दल किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाती है। इसमें लोगों के जुटान के लिए भी संपर्क अभियान चलाया जाता है। स्थानीय स्तर पर गाड़ियों को गांव गांव तक पहुंचाने के साथ ही सभा स्थल तक लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी जाती है। औरंगाबाद और सासाराम संसदीय क्षेत्र में मृतप्रार्य कांग्रेस में जान डालने वाले कुछ नेता मौजूद हैं। लेकिन दावेदार अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभा सके। इस तरह राहुल गांधी की सभा का बिहार के चित्तौड़गढ़ में विसर्जन हो गया। लालू की लाठी के भरोसे बिहार में खड़ी देश की सबसे पूरानी पार्टी अपने विस्तार के रणनीति में पूरी तरह फेल है। खैर भोजपुर जिले के एक परिचित कांग्रेस नेता पर मुस्कुराते हुए मैं अपने पटना के एक पत्रकार मित्र के साथ डेहरी-ऑन-सोन वापस लौटा। पता चला की कांग्रेस के युवराज के लिए डेहरी-ऑन-सोन शहर के एंट्री पर खड़े लोगों को निराशा हाथ लगी। उनका कारवां बढ़ चुका था। कांग्रेस के इस नेता को होमवर्क करने की जरूरत है। शायद इनको जानकारी भी न हो कि उनकी पार्टी के दिग्गज नेता अब्दूल क्यूम अंसारी इसी शहर के थे। जिन्होंने बड़ी संख्या में पसमांदा मुसलमानों को उनकी पार्टी से जोड़े रखा। रास्ते में पंडित नेहरू के नाम से स्थापित एक कॉलेज भी था। जहां नेहरू जी खुद पहुंचे थे और उद्घाटन करने के बाद अंसारी साहेब को डांट भी लगाई थी।
(लेखक केबी न्यूज के फाउंडर एडिटर हैं। उनके ये विचार निजी हैं।)