
पटना; अधिवक्ता न्यायपालिका का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और वे संविधान की रक्षा और गरीबों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।फिर भी पिछले चुनाव की तरह इस बार भी सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल वकीलों की समस्या पर चुप हैं, पटना उच्च न्यायालय की जानी मानी महिला अधिवक्ता तथा एडवोकेट्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष, श्रीमती छाया मिश्र ने खेद प्रकट किया है. श्रीमती छाया मिश्र ने सभी राजनीतिक दलों के संकल्प और घोषणा पत्र का अध्ययन किया और बताया की न तो बिहार के दल और न ही राष्ट्रीय दल ने वकीलों पर ध्यान दिया है. पूरे देश में 15 लाख अधिवक्ता है जो विभिन्न बार काउंसिल में रजिस्टर्ड हैं,उनकी पेशेवर कठिनायों पर मुख्य न्यायधीश ने भी चिंता व्यक्त की थी।उच्च न्यायालय से लेकर सब डिविजनल स्तर के न्यायालयों में वकीलों को बेसिक सुबुधाओं से वंचित किया गया है।हाल ही में पटना जिला न्यालय परिसर में बिजली के ट्रांसफार्मर के नीचे खुले आसमान के नीचे काम करने वाले तीन वकील जल कर मर गए. भयानक गर्मी में कूलर की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है,वकील काले पोशाक में काम करने हैं,समय की मांग है,अब ब्रिटिश कालीन यूनिफार्म की जगह सफेद कपड़ों की इजाजत दी जाए. श्रीमती छाया मिश्र ने दुख व्यक्त किया कि बहु प्रतीक्षित जीवन बीमा,मेडिकल इंश्योरेंस,सुरक्षा कानून पर भी किसी भी दल ने ध्यान नहीं दिया है. आजादी की लड़ाई में वकीलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी_ महात्मा गांधी,राजेंद्र प्रसाद,जावर लाल नेहरू,सरदार वल्लभ भाई पटेल,गोपाल कृष्ण गोखले सभी वकील थे,अब अमृत काल में वकीलों की समस्या पर राजनीतिक दल चुनाव प्रक्रिया के बाद भी ध्यान दे,ऐसा आग्रह श्रीमती छाया मिश्र ने किया है।