
डेहरी आन सोन (रोहतास ). श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नवनिधि के दाता के रूप में जाना जाता है। हनुमान चालीसा में अष्ट सिद्धियां से संबंधित एक दोहा है अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता अस बर दिन जानकी माता। इस दोहे में दिन अष्ट सिद्धियां की बात की गई है वहीं बहुत ही चमत्कारी शक्तियां है। अयोध्या से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज ने डालमियानगर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में आयोजित श्री हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में सोमवार देर रात तक चले प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि इस दोहे में दिन अष्ट सिद्धियां की बात की गई है वह बहुत ही चमत्कारी शक्तियां है। इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमान जी के सच्चे मन से उपासना करने पर वे अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधिया प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं। उन्होंने इस सिद्धि का प्रयोग तब किया था जब वह समुद्र पार लंका पहुंचे थे। इस सिद्धि का उपयोग करके ही हनुमान जी ने पूरी लंका का निरीक्षण किया और अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमान जी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला ।
उन्होंने कई बार विशाल रूप भी धारण किया। जब वे समुद्र पार करके लंका जा रहे थे तब बीच रास्ते में नागों की माता सरसा ने उनका रास्ता रोक लिया था ।उस समय सुरक्षा को प्राप्त करने के हनुमान जी स्वयं को सौ योजन तक बड़ा कर लिया था इसके अलावा माता सीता को श्री राम की वानरी सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था ।इस सिद्ध की मदद से हनुमान जी स्वयं का भर किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं ।महाभारत काल में उन्होंने भीम के सामने की सीधी का उपयोग किया था। जब भी को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था उसे समय भी के घमंड को तोड़ने के लिए हनुमान जी एक वृद्ध वानर का रूप धारण करके रास्ते में अपनी पूछ फैला कर बैठ गए थे ।जब भीम हनुमान जी को की पूंछ उठानी चाही तो वह उनकी पूंछ को नहीं उठा सके इसका इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया।
40 दिवसीय हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में जगतगुरु का स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार सिंह ने की। धन्यवाद ज्ञापन सचिव केश्वर सिंह यादव ने किया ।मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु श्रोता मौजूद थे।