डिजिटल टीम, अंबा (औरंगाबाद)। भारतमाला परियोजना अंतर्गत निर्माणाधीन वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण प्रक्रिया को लेकर किसानों में रोष है। बुधवार को प्रशासन की उपस्थिति में बेनी गांव में निर्माण कार्य करने पहुंची पीएमसी कंपनी को ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद वापस लौटना पड़ा। किसान अशोक सिंह ने बताया कि अभी तक किसानों को अधिग्रहित भूमि का मुआवजा नहीं दिया गया है, कंपनी वाले जबरन काम लगा रहे हैं। विगत 14 जून को भी कंपनी वालों ने प्रशासन की उपस्थिति में काम लगाया था जिस पर किसानों के विरोध के बाद बंद करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि किसानों की अधिग्रहित सारी जमीनों का ना तो नोटिस मिला है और ना ही मुआवजा। इसके बावजूद कंपनी जबरन हमारी जमीनों पर निर्माण कार्य करना चाहती है। जब तक सरकार हमारी जमीनों का उचित मुआवजा नहीं दे देती तब तक हमलोग एक इंच भी जमीन नहीं देंगे चाहे इसके लिए हमें जान क्यों ना देना पड़े।
किसान संगठन के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने कहा कि इस योजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलीभगत कर किसानों की जमीनों को हड़प जाना चाहती है। सरकार ने अभी तक मालिक गैरमजरुआ बकास्त भूमि का नोटिस निर्गत नहीं किया है जो सरकार के गंदे नियत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि यदि कोई किसान किसी बकास्त भूमि का लगान तीस या उससे अधिक वर्षो से दे रहा है तो वह मुआवजे का पूर्ण हकदार है।
किसान विकास सिंह ने कहा कि क्यों ना हमें सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई लड़नी पड़े लेकिन बिना उचित मुआवजा लिए हम जमीन नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार संवैधानिक नियमों की अवहेलना कर रही है। संविधान में किसानों को हक मिला है कि मुआवजा के बगैर किसानों की जमीन अधिग्रहित नहीं की जा सकती फिर भी सरकार पुलिस-प्रशासन को कंपनी की तीमारदारी करने भेज रही है।
इस मौके पर बलिया के किसान अभय सिंह, चिरैयाटांड़ के किस राजकुमार सिंह, अशोक सिंह, प्रमोद सिंह, रामजीवन सिंह, नारायण यादव, रामजी मेहता, धर्मेंद्र मेहता, अजय मेहता, बबलू सिंह, टिंकू सिंह, निखिल सिंह, जनेश्वर मेहता, बैजनाथ सिंह, रमेश राम आदि उपस्थित थे।