सोनभद्र के किनारे बसे शहर डेहरी-ऑन-सोन का रहने वाला हूं। लगाव स्वभाविक है। एक दिन अपने शहर की तरह का दूसरा शहर तलाशने लगा तो उड़ीसा का गोपालपुर ऑन सी का नाम दिखा। अपने शहर की लंबे समय तक पूरे दुनिया में पहचान रही। इंडस्ट्रीयल हब होने के पहले यह शहर बंगालियों और अंग्रेजों को खूब भाया। बंगाली इसी शहर में आवो हवा बदलने आते थे। तो डेमची बाबू की तलाश गृहदाह लिखते समय रुक सी जाती थी। राष्ट्रवादी रामकृष्ण डालमिया को यह शहर इतना भाया कि उन्होंने एक बड़ी औद्योगिक नगरी शुरू कर दी और पूरे देश भर के लोगों को बसने का मौका मिला। वहीं, उड़ीसा के बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा गोपालपुर एक शांत तटीय शहर है जो अपने समुद्र तटों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह आकर्षक गंतव्य, जिसे अक्सर “गोपालपुर-ऑन-सी” के रूप में जाना जाता है। जिसे भारत के पूर्वी तट पर घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में शामिल किय़ा जाता है। सुनहरी रेत और शांत पानी वाले समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध है।
अब बात करते हैं शहर के पास से गुजरने वाली सोन नद् और फ्रांस की एक महत्वपूर्ण नदीं साओने की। जिसे सोन, साओने, सोह्न के नाम से पुकारा जाता है। सोन को पुरुष नदी माना जाता है। जबकि फ्रांस के सोन, साओने, सोह्न का नाम गैलिक नदी देवी सौकोना से लिया गया है। जो स्थानीय सेल्टिक जनजाति सेक्वेन्स से भी जुड़ा हुआ है। कालांतर में सौकोना को साओकोना में बदल दिया। अब लोग इसे साओने के नाम से जानते हैं। इसके प्राचीन नाम ब्रिगौलस और अरार थे। सोन नदी का उल्लेख रामायण आदि पुराणो में आता है। इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के हैँ जो सोने कि तरह चमकते हैँ। महानद सोन ,शोण हिरण्यवाह भी इसे कहते है ।इसकी शोभा का वखान करते सातवी सदी के महान साहित्यकार सोन तटवासी बाणभट्ट की यह युक्ति याद आ गई कि ” वरुण के हार जैसा, चंद्रपर्वत से झरते हुए अमृतनिर्झर की तरह ,विन्ध्यपर्वत से बहते हुए चंद्रकांत मणि के समान,दंडकारण्य के कर्पूर बृच्छ से बहते हुए कर्पूरी प्रवाह की भांति,दिशाओं के लावण्य रसवाले सोते के सदृश ,आकाश लछमी के शयन के लिए गढे हुए स्फटिक शिलापट्ट की नाई ,स्वच्छ शिविर और स्वादिष्ट जल से पूर्ण भगवान पितामह ब्रह्मा की संतान हिरण्यवाह महानद ,जिसे लोग सोन भी कहते है । साओने की लंबाई 473 किलोमीटर (294 मील) है। वहीं, सोन की लंबाई 784 कि॰मी॰ (487 मील)। गंगा नदी की सहायक नदियों में सोन का प्रमुख स्थान है। इसका पुराना नाम संभवत: ‘सोहन’ था जो पीछे बिगड़कर सोन बन गया। यह नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक नामक पहाड़ से निकलकर 350 मील का चक्कर काटती हुई पटना से पश्चिम गंगा में मिलती है। इस नदी का पानी मीठा, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसके तटों पर अनेक प्राकृतिक दृश्य बड़े मनोरम हैं।
गोविंदा मिश्रा