
डिजिटल टीम, रांची। नागरिक समाज संगठनों की चिंता, चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर पैरवी संस्था द्वारा रांची स्थित एक होटल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला कि शुरुआत करते हुए पैरवी के निदेशक अजय झा ने कहा कि भारत में नागरिक समाज संगठनों ने के सामने कई और स्थाई चुनौतियां है, जिसमें एफसीआरए कानून में बदलाव के कारण संसाधनों में कमी, स्वयं सेवा पर तकनीकी प्रबंधकीय प्रभुत्व, गैर लाभकारी संगठनों के बारे में गलत धारणाएं आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत में नागरिक समाज ने पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर भ्रम और चिंता का अनुभव नहीं किया,जितना कि हाल के दिनों में किया है।
कार्यक्रम में बोलते हुए दीनबंधु वत्स ने कहा कि सामाजिक संगठन को नई चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी रणनीति की समीक्षा करने की जरूरत है। सरकार और समाज दोनों के स्तर पर विश्वास की कमी को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि संस्था के द्वारा समान उद्देश्य वाले संस्थाओं के साथ संयुक्त कार्यक्रम, युवा नेतृत्व, स्थानीय स्तर पर संसाधनों का सृजन, खुद की क्षमता वर्धन आदि मुद्दों पर जोर दिया।
बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय ने कहा कि जेल में बंद कैदी भी मानव है और भारतीय संविधान में वर्णित तमाम अधिकार उन्हें मिलने चाहिए। जेल राज्य सूची का विषय है इसलिए राज्यों को अपने यहां पैरोल और फरलो देने की उदार नीतियों को अपनाना चाहिए। जब जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकता है तो उन्हें वोट देने का भी अधिकार मिलना चाहिए। जेल में जो माताओं के साथ बच्चे है,उनकी देखभाल और शिक्षा का भरपूर इंतजाम किया जाए। एक जेल से दूसरे जेल में कैदी का ट्रांसफर रोका जाए।
उत्तराखंड के नैनीताल हाईकोर्ट में श्री उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल की थी,जिसमे आजीवन सजायाफ्ता वरिष्ठ कैदी की समय से पहले रिहाई की मांग की गई थी। इसमें नैनीताल हाईकोर्ट ने याचिका में मांगी गई बातो के साथ अन्य सुधारात्मक कार्यों जैसे ओपन जेल खोलने आदि पर भी फैसला दिया। जिसके खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। इसी साल अगस्त में सरकार ने अपनी अपील खुद वापस ले ली तो अब वहां हाईकोर्ट के फैसले को लागू करवाने का समय आ गया है
इस कार्यशाला में अनुसूचित जनजाति और वनाधिकार, पहाड़िया आदिम जनजाति, बीड़ी कामगार, नई न्याय संहिता, जेल में बंद बच्चे और बंदी अधिकार जैसे विषय पर विस्तार चर्चा की गई। कार्यक्रम में झारखंड के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली सहित कई राज्यों की संस्थाओं ने भाग लिया।
कार्यशाला में जार्ज मोनिप्पल्ली,मकेश्वर रावत,सैमुअल माल्टो,अश्विनी पंकज, सुरेंद्र प्रसाद,विभा कुमारी,चांदनी देवी, अजय सींगोर, शिव कुमार, कृष्णा जी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।