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“मैं कहूँगा कि अगर गाँव खत्म हो गया तो भारत भी खत्म हो जाएगा। भारत भारत नहीं रह जाएगा। दुनिया में उसका अपना मिशन खत्म हो जाएगा। गाँव का पुनरुद्धार तभी संभव है जब उसका शोषण बंद हो।… इसलिए हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना होगा कि गाँव आत्मनिर्भर हो।“ – महात्मा गाँधी
भारत अपनी मूल आत्मा के निहितार्थ में आज भी गाँवों का देश है। इसलिए गाँवों की सशक्तिकरण के बिना विकसित भारत की संकल्पना साकार होने में संशय स्वाभाविक है। गाँधी जी कहा करते थे, “स्वाधीनता की शुरुआत सबसे प्राथमिक स्तर (ग्राम स्तर) से होनी चाहिए। इस प्रकार, प्रत्येक गाँव एक गणतंत्र या स्वायत्त पंचायत होगा जिसके पास अपनी पूर्ण शक्तियाँ होंगी। इस तरह, इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक गाँव को आत्मनिर्भर होना चाहिए और अपने मामलों का प्रबंधन करने में सक्षम होना चाहिए, यहाँ तक कि उनकी क्षमता का प्रसार पूरी दुनिया से खुद का बचाव करने की सीमा तक होनी चाहिए।” इसलिए यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि आत्मनिर्भर ग्राम-पंचायत एवं समर्थ ग्राम सभाएं हमारे राष्ट्र की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आधारस्तंभ की मानिंद है। गाँवों की उन्नति का रास्ता पंचायती राज प्रणाली एवं ग्राम सभाओं के माध्यम से ही तय किया जा सकता है। यह एक सर्वविदित व सर्वमान्य तथ्य है कि लोकतंत्र को व्यवहार में सफल बनाने के लिए, स्थानीय मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए, आम नागरिकों के मध्य राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, कल्याणकारी योजनाओं को वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए, सामाजिक-न्याय सुनिश्चित करने के लिए और विकास-निधियों के उचित उपयोग के लिए, स्थानीय शासन-सरकार का मजबूत होना जरूरी है। ‘लोकतंत्र की सच्ची भावना स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से स्थानीय समस्याओं का समाधान खोजने में निहित है’ की भावना को बीज-मंत्र मानते हुए एल. एम. सिंघवी समिति ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम सभाओं की अपरिहार्यता पर विशेष बल दिया था।
गाँधी जी के ग्राम स्वराज्य की अवधारणा से प्रेरणा लेते हुए गाँवों के समुचित उत्थान हेतु आंध्र प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त 2024 को कई नवाचारों की रिकॉर्ड स्तर पर पहल की गई है, जिनका जमीनी स्तर पर यदि पूरी ईमानदारी से क्रियान्वयन सफल रहता है तो ये समस्त कवायदें पूरे देश में पंचायती राज प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए एक नजीर बन सकती हैं। आंध्र प्रदेश अपने यहाँ स्थानीय स्वशासन के स्तर पर पंचायती राज व्यवस्था आरंभ करने वाला राजस्थान के उपरांत देश का दूसरा राज्य रहा है। इस राज्य में कुल 13,326 पंचायतें हैं। आंध्र प्रदेश को तिहत्तरवें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिए हुए तीन दशक से अधिक समय बीत चुकने के उपरांत अब सामयिक आवश्यकताओं के अनुरूप पंचायती राज व्यवस्था में अगली पीढ़ी की अग्रिम सुधारों के माध्यम से पंचायती राज क्रांति के अगले उन्नत चरण के आरंभ पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, जो कि निस्संदेह एक स्वागतयोग्य पहल है।
पिछले तीन दशकों से आंध्र प्रदेश में छोटी और बड़ी पंचायतों को स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस समारोह जैसे राष्ट्रीय-पर्वों के आयोजन के लिए क्रमशः केवल सौ रूपये अथवा ढाई सौ रूपये की नाममात्र राशि ही प्रदान की जाती थी जिसे अब यहाँ के पंचायती राज मंत्रालय ने बढ़ाकर क्रमशः दस हजार तथा पच्चीस हजार रूपये कर दिए हैं। विगत 23 अगस्त को एक साथ आंध्र प्रदेश के समस्त 13,326 पंचायतों में एक दिन में एक साथ रिकॉर्ड स्तर पर ग्राम सभाओं का आयोजन कर कीर्तिमान रचते हुए ग्राम्य सशक्तिकरण के सन्दर्भ में एक अनूठा संदेश देने का प्रयत्न किया गया है। इस दौरान प्रदेश भर में 4,500 करोड़ रुपये से किए जाने वाले विकास कार्यों के माध्यम से 54 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने, 9 करोड़ व्यक्तियों के लिए कार्य-दिवस उपलब्ध कराने, आदि से सम्बंधित कई प्रस्ताव पारित किये गए। गाँवों की वस्तुस्थिति का अध्ययन (SWOT Analysis) करते हुए उसकी मजबूती, कमजोरी, अवसर एवं संभावित खतरों को अच्छे से समझ कर आगामी प्रस्ताव पारित करने पर बल दिया गया है। सूबे के उप-मुख्यमंत्री एवं पंचायती राज सह ग्रामीण विकास मंत्री पवन कल्याण के निर्वाचन क्षेत्र पिठापुरम में सफलतापूर्वक अपनाई गई “स्वच्छ और हरित पिठापुरम” की मॉडल अवधारणा को पूरे राज्य में आगे बढ़ाने पर बल दिया गया है।
पवन कल्याण इस राज्यव्यापी आयोजन के दौरान स्वयं आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में रेलवे कोडुर निर्वाचन क्षेत्र में स्थित मैसूरवारी पल्ली पंचायत की ग्राम सभा में उपस्थित रहे। जनसेना सुप्रीमो द्वारा इस राज्यव्यापी ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’ अभियान के शुभारंभ के लिए मैसूरवारी पल्ली के चयन के मूल में एक विशिष्ट सांकेतिक अभिप्राय भी निहित है। दरअसल, वाक़या यह है कि साल 2021 में जनसेना पार्टी की एक वीर महिला श्रीमती संयुक्ता उस समय के वाईएसआरसीपी सरकार के तथाकथित भ्रष्ट शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ते हुए बाद में वहाँ की सरपंच चुनी गईं।
मैसूरवारी पल्ली की ग्राम सभा में अपने संबोधन में पवन कल्याण ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि कार्य विवरणों को सार्वजनिक रूप से ‘सिटीजन नॉलेज बोर्ड’ पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए और कार्य पूरा होने तक सम्बंधित ग्राम समुदायों द्वारा नियमित रूप से इसकी निगरानी की जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से ठेकेदारों की जानकारी, कुल स्वीकृत बजट और कार्य की विशिष्टताओं-प्रकृतियों से सम्बंधित विवरणों को समय-समय पर ‘सिटीजन नॉलेज बोर्ड’ के माध्यम से सूचित करने को कहा ताकि सार्वजनिक निगरानी सुगमता से की जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि पंचायत निधि का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है। सभा में उपस्थित नागरिकों को जागरूक करने के दृष्टिकोण से उन्होंने पूछा, “क्या आप शासन-सत्ता को महज कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित होने देंगे, या आप अपने गाँवों की ज़िम्मेदारी स्वयं लेना पसंद करेंगे? उन्होंने उपस्थित जनसमूह को प्रोत्साहित किया कि अगर वादा किए गए कार्य संपादित नहीं किए जाते हैं तो वे जवाब और उत्तरदायित्व निर्धारण की अविलंब माँग करें।” संबोधन के दौरान विशेष तौर पर अन्ना हजारे के प्रति अपने प्रशंसात्मक उद्गार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ। वे मेरे बड़े भाई चिरंजीवी की फिल्म ‘रुद्रवीणा‘ के प्रेरणास्रोत रहे हैं। उन्होंने रालेगांव सिद्धि गाँव के लिए जो सेवाएं दी हैं, उससे पूरा देश अभिप्रेरित है।”
इस अवसर पर युवा-शक्ति से मुखातिब होते हुए पवन कल्याण ने राज्य के समस्त युवाओं एवं विद्यार्थियों से अपने सम्बंधित ग्राम सभाओं में भाग लेकर ग्राम्य विकास के क्रियाक्लापों में समुचित योगदान देने का विशेष तौर पर आह्वान किया। अपने संबोधन में उनका मानना रहा कि युवा एवं विद्यार्थी राष्ट्र के उज्जवल भविष्य होने के साथ-साथ अपने-अपने गाँवों एवं कस्बों के भी भविष्यकर्त्ता हैं; स्थानीय समुन्नति की बागडोर भी पूर्णतया उन्हीं के हाथों में है; इसलिए वे अपने विचार, योजनाओं एवं कार्यों से अपने गाँवों का भविष्य बेहतर ढ़ंग से संवार सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने विशेष तौर से ‘नारी शक्ति’ की महत्ता को रेखांकित करते हुए पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की विशेष भागीदारी पर भी बल दिया। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति महोदया से प्रेरणा ग्रहण करने की बात का जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी इस बात की साक्षात मिसाल हैं कि कैसे एक लड़की को शिक्षित करने से न केवल वे स्वयं या उनका परिवार बल्कि पूरा देश बदल सकता है। वे “स्त्री शक्ति” की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करती हैं।’
आंध्र प्रदेश सरकार की इन समस्त कवायदों एवं ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’ अभियान का पहलेपहल तो मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्राम सभाएँ प्रभावी ढंग से, पारदर्शी रूप से और जवाबदेही के साथ प्रदेश भर में नियमित संचालित हो! साथ ही, इसके माध्यम से ग्राम स्वराज्य के पथ पर अग्रसर होकर ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’ अभियान की विस्तृत श्रृंखला की निरंतर कड़ी में साझे भविष्य से जुड़े जन-मुद्दों यथा- जलवायु परिवर्तन, खेल सुविधाओं की आवश्यकता, वाई-फाई (Wifi) सुविधा, जॉब्स एवं नौकरियों की आवश्यकता, महिला सुरक्षा, सीसीटीवी (CCTV), स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं स्वच्छता की उन्नत तकनीकों पर बल, राजनीति में महिलाओं एवं युवाओं की सक्रिय प्रतिभागिता पर जोर देना आदि पर बात करते हुए भविष्य के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से नीति-निर्माण एवं ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (GPDP) की रुपरेखा सह क्रियान्वयन को असली अमलीजामा पहनाकर ग्राम स्वराज्य के अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति करना सम्मिलित है। मैसूरवारी पल्ली की ग्राम-सभा के आयोजन में उपस्थित तटीय आंध्र प्रशासनिक क्षेत्र के एक पंचायत के लम्बे समय तक सरपंच रहे बुजुर्ग सज्जन कहते हैं, “अब तक मैंने पंचायती राज के कई प्रभारी मंत्रियों को देखा है, उनके साथ काम किया है लेकिन आज हम पंचायती राज मंत्रालय के एक ऐसे मंत्री को देख रहे हैं जो सही मायने में ग्राम-विकास एवं पंचायत उत्थान की राह पर बढ़कर राष्ट्र की प्रगति के लिए कार्य कर रहे हैं। वे वास्तव में इतिहास बना रहे हैं। पवन कल्याण, स्वभाव से भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी आदर्शों से युक्त हैं, जिनमें किसी भी तरह के अन्याय का विरोध करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। किन्तु वे साथ में यह भी सफलतापूर्वक साबित कर रहे हैं कि ‘एक्टिविज्म’ की जन-भावना से युक्त एक राजनेता अपने मूल्यों से समझौता किए बिना, संवैधानिक पद पर रहते हुए गांधीवादी सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से कायम रख सकता है, उन्हें सही अर्थों में धरातल पर उतार सकता है – जो बाह्य तौर पर भले भगत सिंह के सिद्धांतों से अलग प्रतीत होते हों।” इस कार्यक्रम में पवन कल्याण के आह्वान पर पंचायती राज मंत्रालय की इस अनूठी पहल ‘स्वर्ण ग्राम पंचायत’ अभियान में मौके पर अपना योगदान देते हुए एक वृद्ध किसान करुमानची नारायण ने उदारतापूर्वक अपनी जमीन पंचायत के कार्यों एवं ग्राम सभा के लिए दान कर दिया जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की गई एवं उपस्थित जन समूह की करतल ध्वनि द्वारा उनका अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर युवाओं के रोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण के लिए गाँव की एक बेटी पगदला लक्ष्मी के अनुरोध पर त्वरित प्रक्रिया देते हुए पवन कल्याण ने ‘कौशल विकास विश्वविद्यालय’ की स्थापना का आश्वासन दिया।
- डॉ. अभिषेक सौरभ
(अतिथि शिक्षक, एनसीवेब केंद्र, श्री अरविन्द महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय ; स्वतंत्र समीक्षक, राजनीतिक विश्लेषक, टिप्पणीकार ;
ईमेल- [email protected] , मो. 7011091782)
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