डिजिटल टीम, पटना। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के आयोजन को मिथिला की धरोहर और सांस्कृतिक परंपरा का वाहक बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से मिथिला की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा को नया आयाम मिलेगा और यह देश भर के साहित्यकारों के बीच मिथिला की पहचान को मजबूती प्रदान करेगा। दरभंगा के कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर पहुँचकर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री अर्लेकर ने कहा कि साहित्यक महोत्सव समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए होते हैं लेकिन देश के कुछ जगहों पर होने वाले ये साहित्य फेस्टिवल साहित्य के नाम पर विचार-विमर्श करने के बदले देश विरोधी एजेंडा चलाने का माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने राजस्थान के जयपुर एवं हिमाचल के सोनम में आयोजित होने वाले लिटरेचर फेस्टिवल पर निशाना साधते हुए कहा कि जयपुर और सोनम में आयोजित होने वाले लिटरेचर फेस्टिवल तो सिर्फ कहने को है लेकिन वहॉ देश विरोधी विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम किया जाता है। इस फेस्टिवल में भारत विरोधी विचार पनपते है। उन्होंने जयपुर के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी ऐसे ही फेस्टिवल मानाने का जिक्र करते हुए कहा की देश विरोधी ओर मानव विरोधी बाते की चर्चा को आगे लाने का यहाँ प्रयास किया जाता है और यह फेस्टिवल इसी काम के लिए प्रसिद्ध है।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा की लेफ्ट के विचार क्या है इसकी चर्चा करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने भोजपुरी भाषा मे फैली अश्लीलता पर भी चिंता जताते कहा की इसे शुद्ध कर साहित्य से जोड़ने की जरूरत है साथ ही उन्होने कहा कि देश के अलग अलग प्रान्तों के अलग अलग भाषायों को भी हिंदी साहित्य सम्मेलन से जोड़ने की जरूरत है ताकि पूरे देश के प्रान्तों को पता चले साहित्य की परिभाषा क्या है और लोग हमारी भाषा को किस रूप में जान रहे है । उन्होंने विशवास जताया की तीन दिनों तक चलनेवाला यह साहित्य महोत्सव आने वाले समय मे किस विचारधारा की तरफ हमारा प्रवाह जाएगा इसको तय करने वाला होगा। उन्होंने कई भाषाओ के आलावा नाट्य, कहानी सभी चीज़ो को हिंदी साहित्य से जोड़ने की अपील भी की है।
इस चंद्रगुप्त साहित्य सम्मेलन में बिहार के साथ मिथिला के सांस्कृतिक कल्चर पर्व त्वेहार को लेकर आकर्षक नृत्य और संगीत का अभूतपूर्व प्रदर्शन भी किया गया जिसमें छठ महापर्व से लेकर लोक नृत्य झिझिया के अलावा सामा चकेवा पर्व गीत संगीत के साथ चंद्रगुप्त मौर्य के सम्राट बनने तक को नाट्य कला के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
राज्यपाल ने चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि यह महोत्सव समाज में सकारात्मक सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का आयोजन दरभंगा राज परिसर में हो रहा है, जहां के राज परिवार ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान दिया है। समारोह में कई अन्य वक्ताओं ने हिंदी साहित्य पर अपना अपना विचार रखा। उद्घाटन समारोह में दरभंगा राज घराने के राजकुमार कुमार कपिलेश्वर सिंह ने बिहार के राज्यपाल श्री अर्लेकर का मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग और चादर देकर स्वागत किया।
लिटरेचर फेस्टिवल पर बिहार राज्यपाल ने कहा- देश विरोधी विचारधारा को आगे बढ़ाने का होता है काम
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