डिजिटल टीम, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। श्री अरविंद का सिद्धी दिवस 24 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को विजय दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन श्री अरविंद और श्रीमाताजी के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। साल 1926 में इस दिन श्री कृष्ण चेतना या ति मानसिक चेतना का भौतिक रूप से अवतरण हुआ था। सोन तटीय स्थानीय श्री अरविंद सोसाइटी में रविवार शाम सिद्ध दिवस पर अध्यक्ष प्रोफेसर संगीता सिंह ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंद एक महान योगी और दार्शनिक थे उनके पूरे विश्व में दर्शनशास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है उन्होंने जहां भेद उपनिषद् आदि ग पर टिका लिखी वही योग साधना का मौलिक ग्रंथ लिखे खासकर उन्होंने डार्विन जैसे जीव वैज्ञानिकों के सिद्धांत से आगे चेतना के विकास की एक कहानी लिखिए और समझाया किस तरह धरती पर जीवन का विकास हुआ वेद और पुराण पर आधारित महर्षि अरविंद के विकासवादी सिद्धांत की उनके कल में पूरे यूरोप में धूम रही थी।
साधक व पूर्व बैंक प्रबंधक कृष्णा प्रसाद ने कहा कि महर्षि अरविंद 1926 से 1950 तक पुडुचेरी अरविंद आश्रम में तपस्या और साधना में लीन रहे। उन्होंने मानव कल्याण के लिए चिंतन किया। उनके निधन के बाद चार दिनों तक उनके पार्थिव शरीर से दिव्यता बने रहने के कारण उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और अंततः 9 दिसंबर को उन्हें आश्रम में समाधि दी गई। सिद्धि दिवस का शुभारंभ उषा ध्यान से प्रारंभ हुआ। मातृ ध्वजारोहण प्रो उमा वर्मा ने किया।भजन, मन्त्रजप किया गया।